जयंत चौधरी ने ख़ारिज किया बीजेपी का न्यौता, कहा “मैं चवन्नी नहीं जो पलट जाऊंगा”
बीजेपी के ऑफर पर जयंत चौधरी ने कहा कि न्यौता मुझे नहीं बल्कि 700 शहीद किसानो के परिवारों को दिया जाना चाहिए। जिनके घर बीजेपी ने उजाड़े हैं। उन्होंने कहा कि मैं चवन्नी नहीं जो पलट जाऊंगा।
गौरतलब है कि दिल्ली के सांसद प्रवेश वर्मा के आवास पर जाट समुदाय के लोगों के आयोजित बैठक में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि जयंत चौधरी ने गलत घर चुन लिया है। उनके लिए आज भी बीजेपी के दरवाजे खुले हैं।
अमित शाह के न्यौते के सवाल पर एक न्यूज़ चैनल से बातचीत में जयंत चौधरी ने कहा कि उन्होंने सपा के साथ गठबंधन का फैसला सोच समझ कर किया है। यह फैसला उन्होंने बंद कमरे में नहीं किया है।
जयंत चौधरी द्वारा बीजेपी को दिए गए जबाव के बीच भारतीय जनता पार्टी ने अपनी पूरी ताकत पश्चिमी उत्तर प्रदेश में झौंक दी है। गुरूवार को जहां गृहमंत्री अमित शाह ने मथुरा-वृंदावन में डोर टू डोर चुनाव प्रचार में भाग लिया वहीँ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बिजनोर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गाज़ियाबाद में चुनाव प्रचार किया।
दरअसल, पहले चरण के चुनाव में योगी सरकार के 9 मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। पहले चरण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जिन सीटों पर मतदान होना है उनमे जाट लैंड कहे जाने वाले मुज़फ्फरनगर, शामली, बागपत, मेरठ, मथुरा, अलीगढ़, गाज़ियाबाद, बुलंदशहर जिले कोई वे सीटें भी शामिल हैं जहां किसान आंदोलन में अपनी अहम भूमिका देने वाले जाट मतदाताओं की अच्छी तादाद है।
पहले चरण के चुनाव में योगी सरकार के जिन मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर है उनमे शामली जिले की थाना भवन विधानसभा सीट पर सुरेश राणा, गाजियाबाद सीट पर अतुल गर्ग, मथुरा में श्रीकांत शर्मा, अतरौली सीट पर संदीप सिंह, बुलंदशहर जिले की शिकारपुर सीट पर अनिल शर्मा, मुजफ्फरनगर सदर सीट पर कपिल देव अग्रवाल, हस्तिनापुर सीट पर दिनेश खटीक, आगरा कैंट सीट पर जीएस धर्मेश और मथुरा की छाता विधानसभा सीट पर चौधरी लक्ष्मी नारायण शामिल हैं।
इन सभी सीटों पर जाट मतदाताओं कोई अच्छी तादाद है। ऐसे में बीजेपी को इस बात का डर सता रहा है कि किसान आंदोलन से प्रभावित इन सीटों पर राष्ट्रीय लोकदल उम्मीदवारों की मौजूदगी कहीं पार्टी उम्मीदवारों पर भारी न पड़े।