बाबा रामदेव की पतंजलि पर लगा 75.08 करोड़ रुपये का जुर्माना
नई दिल्ली। आयुर्वेदिक दवाइयों की बिक्री करके शुरू हुई बाबा रामदेव से जुडी कम्पनी पतंजलि ने धीमे धीमे कॉस्मेटिक्स, रेडीमेड और खानपान की चीज़ो में अपना बड़ा मार्केट बना लिया है लेकिन अब पतंजलि पर आरोप लगा है कि उसने अपने उत्पादों की कीमत घटाकर जीएसटी कटौती का फायदा उपभोक्ताओं को नहीं दिया।
नेशनल एंट-प्रॉफिटियरिंग अथॉरिटी (एनएए) ने इस मामले की जांच करके कंपनी को दोषी माना है और उस र 75.08 करोड़ रुपये जुर्माना लगाया है। उसने यह रकम कंज्यूमर वेलफेयर फंड (सीडब्ल्यूएफ) में जमा करा का आदेश दिया है।
एनएए के अनुसार नवंबर 2017 में सरकार द्वारा जीएसटी की दरों में कटौती लागू की गई थी। लेकिन पतंजलि ने इसका फायदा उपभोक्ताओं को देने के लिए अपने तमाम उत्पादों की कीमतों में कटौती नहीं की। इसके विपरीत उसने कीमतों में बढ़ोतरी और की।
जीएसटी या इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा वस्तु अथवा सेवाओं की कीमतें घटाकर उपभोक्ताओं को नहीं दिया जाता है तो एंटी-प्रॉफिटियरिंग नियम लागू होते हैं। इस नियम के तहत कार्रवाई की मांग कोई पक्ष, आयुक्त अथवा अन्य कोई व्यक्ति कर सकता है।
पतंजलि ने तर्क दिया कि उसने कैश-बैक स्कीम के तहत उपभोक्ताओं को डिस्काउंट देकर फायदा दिया लेकिन एनएए ने इसे खारिज करते हुए कहा कि यह फायदा कीमत में वाजिब कटौती करके दी जानी चाहिए। कैश-बैक स्कीम कंपनियां अपने उत्पादों की बिक्री बढ़ाने के लिए चलाती हैं, इसलिए इसके फायदे को कर कटौती से नहीं जोड़ा जा सकता है।
एनएए ने कहा कि पतंजलि ने जीएसटी कटौती से प्रभावित उत्पादों का नया एमआरपी तय नहीं किया। उसने यह जिम्मेदारी वितरिकों और खुदरा विक्रेताओं पर छोड़ दी जिन्होंने उत्पाद पुराने दामों पर ही बेचे। इस तरह कंपनी ने सीजीएसटी एक्ट के सेक्शन 171 (1) का उल्लंघन किया है। इस नियम में कंपनी को जीएसटी कटौती का लाभ देने के तरीके बदलने का अधिकार नहीं है।