पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने फिर से पार्टी की कमान संभालने की अटकलों को किया ख़ारिज
नई दिल्ली। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी फिर से पार्टी अध्यक्ष पद की कमान संभालने की अटकलों को ख़ारिज कर दिया है। आज वीडियो कांफ्रेंसिंग के ज़रिये पत्रकारों से बातचीत में राहुल गांधी ने एक सवाल के जबाव कहा कि ‘पिछले साल उन्होंने जो चिट्ठी लिखी थी, वो अभी भी उस पर कायम हैं।’
राहुल गांधी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि ”रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन और अभिजीत बनर्जी के साथ देश की अर्थव्यवस्था पर उनकी बातचीत को किसी अलग नजरिए से नहीं देखना चाहिए।’
जब उनसे कांग्रेस अध्यक्ष पद संभालने संबंधी सवाल पूछ गया तो उन्होंने कहा, ‘मैं अपनी चिट्ठी पर कायम हूं।’ गौरतलब है कि 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद जुलाई में राहुल गांधी ने पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था, इसके बाद पिछले लगभग 8 महीने से सोनिया गांधी कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष बनकर पार्टी को संभाल रही हैं।
इससे पहले आज राहुल गांधी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि लॉकडाउन को खोलने से पहले सरकार के पास क्या रणनीति है, इसके बारे में पारदर्शिता चाहिए। कोरोना के खिलाफ लड़ाई को डी-सेंट्रलाइज करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि अगर सारे फैसले प्रधानमंत्री कार्यालय से ही होते रहे तो संकट खड़ा हो जाएगा। उन्होंने छोटे मझोले और मध्यम उद्योगों की स्थिति पर भी चिंता जाहिर की। साथ ही न्याय योजना के तहत मजदूरों के खाते में सीधे पैसे देने की बात भी कही।
राहुल गांधी ने कहा कि अब हमें लॉकडाउन को खोलने की रणनीति की जरूरत है। सप्लाई चेन को लेकर आ रही दिक्कतों को दूर करना होगा। मजदूरों, किसानों, बिजनेसमैन, मध्यम उद्योगों को अभी मदद देने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, ‘’मैं सरकार से अनुरोध करूंगा कि वो राज्य सरकारों को, जिलाधिकारियों को अपने पार्टनर के तौर पर देखे और फैसले लेने को केंद्रीकृत न करे।’’ एक और सवाल के जवाब में राहुल ने कहा, ”ये आलोचना का वक्त नहीं है। हम जिस परिस्थिति में अब हैं, हमें उससे निकलना है। अब लॉकडाउन को खोलने की रणनीति की जरूरत है। आप किसी कारोबारी से पूछें तो वो बताएंगे कि हमारी सप्लाई चेन रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन के बीच से निकलती है।’’
राहुल गांधी ने कहा कि एमएसएमई को क्रेडिट सुरक्षा योजना, छह महीने की ब्याज सब्सिडी देने की जरूरत है। वहीं, बड़े बिजनेस को भी सुरक्षा देने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि सरकार को न्याय योजना को लागू करना चाहिए। सभी परिवारों के खाते में पैसा डालना शुरू कीजिए। सिर्फ 65 हजार करोड़ रुपये खर्च आएंगे। इसके बाद लोगों की सोच में बदलाव आएगा। अगर आप मजदूर हैं तो आपके पास कोई विकल्प नहीं है। सरकार को राज्य सरकारों से मिलकर पलायन पर बात करनी चाहिए।