प्रियंका ने ढूंढ़ लिया बीजेपी और सपा के बीच का रास्ता, बीजेपी को सीधे डेंट देने का ये है फॉर्मूला
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। इस बीच कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी के सक्रीय के बाद प्रदेश की राजनीति तेजी से बदल रही है।
प्रियंका गांधी के एक्टिव होने के बाद उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। यही कारण है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को कमतर आंक रहे कई चुनाव विश्लेषकों को कांग्रेस को लेकर अपनी राय बदलने को मजबूर होना पड़ा है।
इतना ही नहीं प्रियंका गांधी के यूपी में एक्टिव होने से अभी कुछ दिन पहले तक खुश नज़र आ रही बीजेपी के अंदर भी कांग्रेस की मौजूदगी को लेकर नफा नुक्सान का आंकलन शुरू हो चुका है।
दरअसल बीजेपी एक सधी हुई रणनीति के तहत यह सोच कर चल रही थी कि यूपी में कांग्रेस जितनी एक्टिव होगी समाजवादी पार्टी को उतना ही नुकसान होगा लेकिन अब कांग्रेस द्वारा अपनी रणनीति बदले जाने से यूपी विधानसभा चुनाव में सेकुलर वोटों के विभाजन का लाभ लेने का बीजेपी का सपना ध्वस्त होता दिख रहा है।
आगरा में एक वाल्मीकि युवक की पुलिस हिरासत में मौत के बाद उनके परिजनों से मिलने पहुंची प्रियंका ने अगले ही कुछ घंटो में प्रदेश के चुनावी समीकरणों को झकझोर कर रख दिया है। प्रियंका की बदली हुई रणनीति से अब बीजेपी को भी बड़ा डेंट लगना तय है।
क्या है प्रियंका की रणनीति:
लोकभारत के ग्रुप एडिटर राजा ज़ैद के मुताबिक, प्रियंका गांधी इस बात को भली भांति जानती है कि यूपी मुस्लिम समुदाय के युवा का रुख सपा की तरफ और हिन्दू युवा मतदाता का रुख बीजेपी की तरफ है। ऐसे में प्रियंका ने लड़कियों को स्कूटी और स्मार्ट फ़ोन देने का एलान कर बीच का रास्ता निकाल लिया है।
एक सधी हुई रणनीति के तहत प्रियंका गांधी बीजेपी के कोर हिंदुत्व मतदाताओं में से लड़कियों को कांग्रेस की तरफ खींचने की कोशिश कर रही हैं। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में 40 फीसदी टिकिट महिलाओं को देने के बाद इंटरमीडिएट पास करने वाली छात्राओं को स्मार्टफोन और स्नातक पास करने वाल छात्राओं को इलेक्ट्रॉनिक स्कूटी देने का बड़ा एलान कर आधी आबादी पर अपनी निगाहें जमा दी हैं।
प्रियंका गांधी की घोषणा अभी भले ही कम धारदार लग रही हो लेकिन महिलाओं को लेकर प्रियंका के वादे यूपी विधानसभा चुनाव में गेम चेंजर साबित हो सकते हैं। 2017 में यूपी में कुल 14.05 करोड़ मतदाताओं में करीब 6.3 करोड़ महिला मतदाता है।
ऐसे में माना जा रहा है कि एक रणनीति के तहत ही प्रियंका गांधी महिलाओं को कांग्रेस की तरफ आकर्षित करने में जुटी हैं। जानकारों की माने तो यदि प्रियंका गांधी की रणनीति फिट बैठी तो विधानसभा चुनाव में बीजेपी को भी बड़ा डेंट लगना तय है।
छात्रों और छात्राओं की सोच में अंतर्:
2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने कोर हिन्दू वोटर को कैश करने के लिए बड़ी तादाद में युवाओं को बीजेपी से जोड़ा था। इस चुनाव में सपा, बसपा और कांग्रेस सहित विपक्षी दलों से जुड़े यूथ का एक बड़ा हिस्सा भी बीजेपी के साथ हो लिया था। प्रियंका गांधी इस बात को भली भांति समझती हैं कि पिछले 7 साल से बीजेपी से जुड़े यूथ को कांग्रेस की तरफ लाने की कोशिश लकड़ी पर बेल्डिंग करने जैसा है। वहीँ कट्टर हिंदुत्व से दूर छात्राओं को लेकर इस बात की गुंजाईश है कि उन्हें कांग्रेस से जोड़ा जा सकता है। बस प्रियंका गांधी का टारगेट यही मतदाता है।
सेकुलर वोटों के विभाजन पर लगेगा ब्रेक:
प्रियंका गांधी ने महिलाओं को लेकर जो बड़े एलान किये हैं इससे बहुत हद तक सेकुलर वोटों के विभाजन पर अंकुश लगेगा। जहां तक मुस्लिम समुदाय की महिला मतदाताओं का प्रश्न है तो उन्हें स्कूटी या स्मार्ट फोन से अधिक चिंता बीजेपी को हराने की होती है। ऐसे में अधिकांश विधानसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं की प्राथमिकता गैर बीजेपी जिताऊ उम्मीदवार होता है। इसलिए ये कहना सही नहीं है कि प्रियंका गांधी के मैदान में आने से सपा को नुकसान होगा या सेकुलर मतो के विभाजन का लाभ बीजेपी को मिलेगा। इसके विपरीत यदि प्रियंका गांधी बीजेपी के कोर महिला मतदाताओं में से यदि 5 फीसदी मतदाताओं का रुख मोड़ने में कामयाब रहीं तो बीजेपी को बड़ा झटका लगना तय है।
हालांकि अभी उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में काफी समय बाकी है। जैसे जैसे चुनाव आएंगे प्रदेश की चुनावी तस्वीर भी तेजी से बदलेगी। अभी यह भी देखना है कि क्या चुनाव होते होते कांग्रेस कुछ दलों से गठबंधन कर पाती है या नहीं ?