कृषि बिलो पर राष्ट्रपति की मुहर लेकिन राज्यसभा में नियमो की अनदेखी पर सवाल बरकरार

कृषि बिलो पर राष्ट्रपति की मुहर लेकिन राज्यसभा में नियमो की अनदेखी पर सवाल बरकरार

नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को मॉनसून सत्र में संसद से पास किसानों और खेती से जुड़े बिलों पर अपनी सहमति दे दी है। कृषि बिलो को लेकर कांग्रेस, अकाली दल सहित कई विपक्षी ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात कर कृषि बिलो पर दस्तखत न करने की अपील की थी लेकिन अंततः रविवार को राष्ट्रपति ने कृषि बिलो को अपनी मंजूरी दे दी।

जिन कृषि बिलो को लेकर किसान संगठन विरोध जता रहे हैं,उन बिलो पर अब राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद भी राज्य सभा में बिल पास कराये जाने के तरीके पर सवाल बरकरार हैं।

विपक्ष राज्य सभा के उपसभापति हरिवंश सिंह की भूमिका पर सवाल उठा रहा है। विपक्ष का आरोप है कि कृषि बिलो को राज्य सभा में पास कराने के लिए सरकार के पास बहुमत नहीं था। कृषि बिलो पर मत विभाजन से बचने के लिए सरकार की तरफ से वॉइस वोट का दांव चला गया। विपक्ष ने राज्य सभा के उपसभापति हरिवंश सिंह पर सरकार के साथ मिलीभगत करने के आरोप भी लगाए हैं।

राज्य सभा की फुटेज से उठे सवाल:

विपक्ष के आरोप पर उप सभापति हरिवंश सिंह और सरकार की तरफ से दावा किया गया कि फिजिकल वोटिंग इसलिए नहीं हो सकी क्योंकि विपक्षी सांसद उस समय अपनी सीटों पर नहीं थे।

हालांकि राज्य सभा की कार्यवाही की फुटेज देखने पर पता चलता है कि फिजिकल वोटिंग की मांग के दौरान विपक्षी सांसद अपनी सीटों पर मौजूद थे और इस दौरान दो सांसदो केके रागेश और त्रिची शिवा ने बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास वापस भेजे जाने और मत विभाजन की मांग की।

सदन का समय बढ़ाये जाने पर भी सवाल:

फुटेज से यह भी साफ़ है कि सदन का समय बढ़ाने के लिए भी नियम तोड़े गए। सदन का समय बढ़ाने के लिए सरकार और विपक्ष दोनों के बीच सहमति होना ज़रूरी है लेकिन सिर्फ संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी के अनुरोध पर सत्र का समय बढ़ा दिया गया जबकि विपक्ष के नेता गुलामनबी आज़ाद ने दोपहर 1.03 बजे कहा कि विपक्षी दल कह रहे हैं कि आज समय नहीं बढ़ाया जाना चाहिए और कल मंत्री जवाब दे सकते हैं। विपक्ष का आरोप है कि विपक्ष को भरोसे में लिए बिना सदन का समय बढ़ाना राज्यसभा नियम 37 का उल्लंघन है।

कई मीडिया रिपोर्ट्स में कृषि बिलो को राज्य सभा में पास किये जाने के लिए राज्य सभा के नियमो की अनदेखी किये जाने की बात कही गई है। हालांकि सरकार इससे पल्ला झाड़ रही है। जानकारों की माने तो यह मामला अब तूल पकड़ सकता है।

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TeamDigital