पश्चिम बंगाल और असम में आज पहले चरण के लिए मतदान, पढ़िए- क्या है ज़मीनी हकीकत
नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल और असम में शनिवार को पहले चरण के चुनाव के लिए मतदान होगा। पहले चरण में असम में 47 सीटों और पश्चिम बंगाल में 30 सीटों पर मतदान होगा। दोनों ही राज्यों में सुबह 7 बजे से मतदान शुरू होगा और शाम 6 बजे तक चलेगा।
असम में पहले चरण में मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, विधानसभा अध्यक्ष हितेंद्रनाथ गोस्वामी, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष रिपुन बोरा समेत कई मंत्री चुनाव मैदान में हैं।
क्या हैं असम चुनाव में बड़े मुद्दे:
असम में नागरिकता संशोधित कानून (सीएए) सबसे अहम मुद्दा है। इसके अलावा चाय बागानों में काम करने वाले श्रमिकों के वेतनमान में बढ़ोत्तरी दूसरा अहम् मुद्दा है। दोनों ही मुद्दों पर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस आमने सामने हैं। कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में एलान किया है कि यदि वह सत्ता में आई तो असम में नागरिकता संशोधित कानून लागू नहीं करेगी। इतना ही नहीं कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में चाय बागानों में काम करने वाले श्रमिकों के वेतनमान को बढाकर 365 रुपये प्रतिदिन करने का वादा किया है। इसके अलावा कांग्रेस ने प्रत्येक ग्रहणी को प्रतिमाह दो हज़ार रुपये की आर्थिक मदद देने का भी एलान किया है।
दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी ने राज्य में घुसपैठ रोकने तथा चायबागानों के श्रमिकों के वेतनमान में बढ़ोत्तरी करने का अहम वादा किया है। राज्य में सत्तारूढ़ बीजेपी के समक्ष इस बार कई चुनौतियाँ हैं।
पिछले चुनाव में कांग्रेस ने अकेले चुनाव लड़ा था लेकिन इस बार कांग्रेस और एआईयूडीएफ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। ज़ाहिर है इस बार बीजेपी को सेकुलर वोटों के विभाजन का लाभ नहीं मिलेगा। इसके अलावा बीजेपी को उन लोगों की नाराज़गी भी झेलनी पड़ेगी जिनका नाम एनआरसी की अंतिम सूची में नही आया। हालांकि गृहमंत्री अमित शाह ने अपनी एक चुनावी सभा में आज कहा कि किसी की नागरिकता नहीं छीनी जायेगी।
इस बार चुनाव में महंगाई की मार बीजेपी को पड़ने की पूरी संभावनाएं बन रहीं हैं। देशभक्ति और राष्ट्रवाद जैसे मुद्दे लोगों की जेब पर चल रही महंगाई की कैची का असर कम नहीं कर सकते। इसलिए यह माना जा रहा है कि असम में बेरोज़गारी, पेट्रोल, डीजल और खाद्य तेलों की कीमतों में बढ़ोत्तरी बीजेपी का रास्ता रोक सकते हैं।
क्या है पश्चिम बंगाल का हाल:
पश्चिम बंगाल की ज़मीनी हकीकत पर नज़र डाली जाए तो पूरा चुनाव बांग्ला और गैर बांग्ला में परिवर्तित हो चूका है। असम की तुलना में पश्चिम बंगाल का मतदाता ज़्यादा जागरूक और तेज है। यहां राज्य के मूल निवासियों में बांग्ला और गैर बांग्ला बड़ा मुद्दा है।
यानि पश्चिम बंगाल में पीढ़ी दर पीढ़ी रह रहे लोगों को बीजेपी इसलिए भी पसंद नहीं क्यों कि बीजेपी का कोई बड़ा चेहरा बंगाल का नहीं है। पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार करने पहुंचे पार्टी के स्टार प्रचारक गृहमंत्री अमित शाह, जेपी नड्डा, योगी आदित्यानाथ और राजनाथ सिंह यहां के मूल निवासियों को आकर्षित करने में असफल रहे हैं। यही कारण है कि राज्य में मुख्यमंत्री के तौर पर आज भी ममता बनर्जी पहली पसंद है।
राज्य में महंगाई, बेरोज़गारी जैसे मुद्दों पर बांग्ला और गैर बांग्ला हावी है। पश्चिम बंगाल में अन्य राज्यों से आकर बसे लोगों का रुझान अवश्य बीजेपी की तरफ है लेकिन वे भी सौ फीसदी बीजेपी के साथ नहीं हैं।
पश्चिम बंगाल में पहले चरण में जिन विधानसभाओं में चुनाव होना है वे किसी एक पार्टी का गढ़ नहीं कही जा सकती। हालांकि अधिकांश सीटों पर ममता बनर्जी का दबदबा है लेकिन कुछ सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस-वामपंथियों को भी कमतर नहीं आंका जा सकता।