किसान आंदोलन: सुप्रीमकोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी के सदस्यों की निष्पक्षता पर सवाल, याचिका दायर
नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन के निपटारे के लिए सुप्रीमकोर्ट द्वारा बनाई गई चार सदस्यीय कमेटी के सदस्यों की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए भारतीय किसान यूनियन लोकशक्ति ने याचिका दायर की है।
शनिवार को सुप्रीमकोर्ट में दायर की गई याचिका में सुप्रीमकोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी को अस्वीकार करते हुए कहा गया है कि कोर्ट द्वारा तीन कृषि कानूनों पर जारी गतिरोध के लिए सुप्रीमकोर्ट द्वारा बनाई गई समिति के शेष रहे तीन सदस्यों को भी हटाया जाए और इनकी जगह नए सदस्यों को कमेटी में शामिल किया जाए।
याचिका में कहा गया है कि यह न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन होगा क्योंकि चार सदस्यीय समिति में जिन लोगों को नियुक्त किया गया है ‘उन्होंने इन कानूनों का समर्थन किया है।
गौरतलब है कि कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसानो के बीच फंसे पेंच को निकालने के लिए सुप्रीमकोर्ट द्वारा एक चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। इस कमेटी के एक सदस्य भूपिंदर सिंह मान ने खुद को पहले ही कमेटी से अलग कर लिया है। अब इस कमेटी में तीन सदस्य बचे हैं।
याचिका में दिल्ली पुलिस की उस याचिका को भी ख़ारिज करने की मांग की गई है जिसमे दिल्ली पुलिस ने सुप्रीमकोर्ट ने किसानो द्वारा प्रस्तावित 26 जनवरी को निकाले जाने वाली ट्रेक्टर परेड तथा अन्य प्रदर्शनों पर कोर्ट से रोक लगाए जाने की मांग की है।
गौरतलब है कि कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर पिछले 52 दिनों से आंदोलन कर रहे किसान दिल्ली की सीमाओं पर डंटे हैं। सरकार और किसानो के बीच 9दौर की बातचीत बेनतीजा रही है और 10वे दौर की बातचीत 19 जनवरी को होनी है।
कृषि कानूनों और सरकार के बीच फंसे पेंच को लेकर किसान संगठनों ने एलान किया है कि यदि उनकी मांगे नहीं मानी गईं तो वे 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के अवसर पर ट्रेक्टर परेड का आयोजन करेंगे। किसानो ने सुप्रीमकोर्ट द्वारा बनाई गई समिति से भी किसी तरह का संवाद करने से पहले ही इंकार कर दिया है।
किसान नेताओं का कहना है कि विवादास्पद कृषि कानून सरकार ने बनाये हैं और सरकार ही इन्हे रद्द करेगी। किसान नेताओं का कहना है कि वे कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर सुप्रीमकोर्ट नहीं गए थे, इसलिए सुप्रीमकोर्ट द्वारा बनाई गई समिति से वार्ता करने का कोई कारण नहीं बनता।