अब काशी-मथुरा को लेकर सुप्रीमकोर्ट में याचिका
नई दिल्ली। अयोध्या पर सुप्रीमकोर्ट के फैसले के बाद अब काशी और मथुरा की मस्जिदों को लेकर सुप्रीमकोर्ट में याचिका दायर की गई है। एक हिन्दू संगठन द्वारा दायर की गई याचिका में 29 साल पहले बनाए गए उस कानून को चुनौती दी गई है। जिसमे प्लेसेज़ ऑफ वर्शिप (स्पेशल प्रोविज़न) एक्ट, 1991 के तहत कहा गया है कि आजादी के बाद कोर्ट की दखल के बाद भी धार्मिक जगहों की यथास्थिति बरकरार रहेगी।
हिन्दू संगठन लगातार इस बात का दावा करते रहे हैं कि अयोध्या की तरह काशी और मथुरा में हिन्दू मंदिरो को ध्वस्त करके मस्जिदें बनाई गई हैं। दावा है कि काशी में विश्वनाथ मंदिर में ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि से सटी शाही ईदगाह की मस्जिद मुगलकाल में मंदिरो को तोड़कर बनाई गई।
गौरतलब है कि अयोध्या में राम जन्मभूमि- बाबरी मस्जिद मामले में सुप्रीमकोर्ट ने फैसला देते समय स्पष्ट शब्दों में प्लेसेज़ ऑफ वर्शिप (स्पेशल प्रोविजन) एक्ट, 1991 की व्याख्या की थी।
देश की सर्वोच्च अदालत ने 1,045 पेज के फैसले में 11 जुलाई, 1991 को लागू हुए प्लेसेज़ ऑफ वर्शिप (स्पेशल प्रोविज़न) एक्ट, 1991 का जिक्र करते हुए देश के तमाम विवादित धर्मस्थलों को लेकर कहा था कि काशी और मथुरा में धार्मिक स्थलों की मौजूदा स्थिति आगे भी बनी रहेगी। उनमें बदलाव की कोई गुंजाइश नहीं रहेगी।
क्या है दावा:
हिंदू पुजारियों के संगठन विश्वभद्र पुजारी पुरोहित महासंघ की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया है कि काशी विश्वनाथ एवं मथुरा मंदिर विवाद को लेकर कानूनी प्रक्रिया फिर से शुरू की जाए। याचिका में कहा गया है कि इस अधिनियम को कभी चुनौती नहीं दी गई और न ही किसी अदालत ने न्यायिक तरीके से इस पर विचार किया। अयोध्या विवाद पर फैसले में भी उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ ने इस पर सिर्फ टिप्पणी की थी।
याचिका में कहा है कि अयोध्या मामले के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने इस एक्ट पर सिर्फ टिप्पणी की थी। इस एक्ट को ना तो भी कोई चुनौती दी गई है और ना ही किसी न्यायिक तरीके से इस पर विचार किया गया है।