राफेल पर सुप्रीमकोर्ट का फैसला: फैसले की इस एक लाइन से हवा हो सकती है सरकार की ख़ुशी

राफेल पर सुप्रीमकोर्ट का फैसला: फैसले की इस एक लाइन से हवा हो सकती है सरकार की ख़ुशी

नई दिल्ली। राफेल डील को लेकर सुप्रीमकोर्ट ने भले ही 14 दिसंबर 2018 कोे सुनाए गए फैसले को बरकरार रखते हुए पुनर्विचार याचिका को ख़ारिज कर दिया हो लेकिन इस फैसले से जुडी एक लाइन सरकार के जश्न को फीका कर सकती है।

जस्टिस जोसेफ ने राफेल डील की पुनर्विचार याचिका को खारिज करने पर सहमति जताने के साथ ही कहा कि अगर याचिकाकर्ताओं की शिकायत पर कोर्ट एफआईआर दर्ज करने का निर्देश देती है, तो प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट की धारा 17A के तहत व्यर्थ साबित होगी।

लेकिन इसी क्रम में उन्होंने यह भी कहा कि “किसी गंभीर अपराध का खुलासा करने के लिए मामले में एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए”। सुप्रीमकोर्ट के फैसले की यह लाइन सरकार के लिए मुश्किल बन सकती है।

कानून के जानकारों की माने तो भले ही सुप्रीमकोर्ट ने अपने 14 दिसंबर 2018 कोे सुनाए गए फैसले को बरकरार रखते हुए पुनर्विचार याचिका को ख़ारिज कर दिया हो लेकिन इसके फैसले में छिपी एक लाइन गंभीर सवाल छोड़ देती है।

जानकारों के मुताबिक यही वह लाइन है जो राफेल मामले में कभी भी जांच कराये जाने का रास्ता खोलती है। अब ये याचिकाकर्ताओं को तय करना है कि वे इस लाइन के सहारे कहाँ तक पहुँच पाते हैं।

पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल पर सुप्रीमकोर्ट के फैसले के दो स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए कहा कि “सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जोसेफ ने फैसला सुनाते हुए राफेल घोटाले की जांच के दरवाजे खोल दिए हैं। इसलिए अब इस मामले की जांच पूरी गंभीरता से होनी चाहिए, इस घोटाले की जांच के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति (JPC) का गठन किया जाना चाहिए”।

 

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TeamDigital