ओमान की असिस्टेंट वाइस चांसलर ने कही ये बात ‘भारत में मुसलमानो का उत्पीड़न रुके, नहीं तो..’
नई दिल्ली। हाल ही में यूएई में भारतीय मूल के कुछ कामगारों द्वारा कोरोना संक्रमण को लेकर सोशल मीडिया पर मुसलमानो और इस्लाम को लेकर की गई टिप्पणी को अरब देशो के बुद्धजीवियों ने बड़ी गंभीरता से लिया है।
यही कारण है कि सोशल मीडिया पर इस्लाम और मुसलमानो को निशाना बनाने वाली पोस्ट करने वाले भारतीय मूल के कई कर्मचारियों को अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ा है।
पिछले दो दिनों से ट्विटर पर खाड़ी देशो से जुड़े कुछ लोग भारत में मुसलमानो को प्रताड़ित किये जाने के आरोप वाले ट्वीट किये हैं। खाड़ी देशो के बुद्धजीवियों ने भारत में कथित तौर पर कोरोना संक्रमण के लिए मुसलमानो को निशाना बनाये जाने और उन्हें प्रताड़ित किये जाने को लेकर सवाल खड़े किये हैं।
अब इसी क्रम में एक्सटर्नल कॉपरेशन सुलतान क़ाबूस यूनिवर्सिटी की असिस्टेंट वाइस चांसलर एच एच मोना मोहम्मद अल सैद ने कहा है कि ‘ओमान भारत में अपने मुस्लिम भाइयों और बहनों के साथ खड़ा है।’
उन्होंने कहा कि ‘यदि भारतीय सरकार मुसलमानों के उत्पीड़न को नहीं रोकती है, तो ओमान में रहने वाले 10 लाख भारतीय कामगारों को वापस भेजा जा सकता है। मैं ओमान के सुल्तान के साथ इस मुद्दे को जरूर उठाउंगी।’
Oman stands with its Muslim brothers and sisters in India. If the Indian Govt doesn't stop the persecution of Muslims, then 1million workers living in Oman may be expelled. I will definitely take up this issue with the Sultan of Oman. @narendramodi
— H.H. Mona bint Fahd al Said ?? (@SayyidaMona) April 21, 2020
एच एच मोना मोहम्मद अल सैद ने अपने इस ट्वीट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी टैग किया है। इससे पहले कल दिनभर खाड़ी देशो से जुड़े ट्विटर यूजर्स ने लगातार ट्वीट किये।
हालाँकि यूएई में भारतीय मूल के गैर मुस्लिम कामगारों द्वारा सोशल मीडिया पर इस्लाम और मुसलमानो को निशाना बनाने वाले पोस्ट प्रकाश में आने के बाद सयुक्त अरब अमीरात में भारत के राजदूत डेमेज कंट्रोल में लग गए हैं।
दुबई में एक भारतीय ने तबलीगी जमात से जुड़े मामले का संदर्भ लेते हुए मुसलमानों के बारे में आपत्तिजनक ट्वीट किया तो संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में भारत के राजदूत पवन कपूर ने इसका जवाब दिया। उन्होंने कहा कि भारत में भेदभाव की कोई जगह नहीं और यह यूएई में रहने वाले भारतीयों को भी समझना होगा।
बता दें कि निजामुद्दीन मर्कज़ मामले के प्रकाश में आने के बाद सोशल मीडिया साइट्स पर कोरोना संक्रमण के लिए तब्लीगी जमात और मुसलमानो को निशाना बनाये जाने वालो के खिलाफ संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने सख्त रुख दिखाया है। समाज में घृणा पैदा करने वालो के खिलाफ यूएई में जीरो टॉलरेंस की नीति है।