अयोध्या में बनने वाली नई मस्जिद शरीयत के खिलाफ: मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड
नई दिल्ली। अयोध्या के धन्नीपुर गांव में सरकार द्वारा दी गई 5 एकड़ ज़मीन पर मस्जिद निर्माण को लेकर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सवाल उठाये हैं। यह ज़मीन सरकार ने सुप्रीमकोर्ट के उस फैसले के मुताबिक उपलब्ध कराई है जिसमे सुप्रीमकोर्ट ने सरकार से मस्जिद निर्माण के लिए 5 एकड़ ज़मीन मुहैया कराने के लिए आदेश जारी किया था।
उत्तर प्रदेश राज्य सुन्नी केंद्रीय वक्फ बोर्ड ने उक्त भूखंड पर मस्जिद और अन्य सुविधाएं विकसित करने के लिये इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (आईआईसीएफ) का गठन किया है।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य जफरयाब जिलानी ने कहा कि अयोध्या में सरकार द्वारा दी गई 5 एकड़ ज़मीन पर प्रस्तावित मस्जिद वक्फ अधिनियम के खिलाफ और शरीयत कानूनों के तहत अवैध है।
उन्होंने कहा कि ‘वक्फ अधिनियम के तहत मस्जिद या मस्जिद की जमीन किसी दूसरी चीज के बदले में नहीं ली जा सकती। अयोध्या में प्रस्तावित मस्जिद इस कानून का उल्लंघन करती है। यह शरीयत कानून का उल्लंघन करती है क्योंकि वक्फ अधिनियम शरीयत पर आधारित है।’
वहीं, अयोध्या में मस्जिद के निर्माण के लिए बनाए गए न्यास(ट्रस्ट) के सचिव अतहर हुसैन ने हालांकि कहा कि हर कोई शरीयत की व्याख्या अपने तरीके से करता है और जब जमीन सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के तहत आवंटित हुई है तो यह अवैध नहीं हो सकती।
उन्होंने कहा कि “शरिया की व्याख्या का अधिकार कुछ लोगों के हाथों तक ही सीमित नहीं है। मस्जिद नमाज अदा करने की जगह है। इसलिए अगर हम मस्जिद बना रहे हैं तो इसमें गलत क्या है?”
गौरतलब है कि इससे पहले आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) की कार्यकारी समिति की 13 अक्टूबर को हुई बैठक में एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी की तरफ से यह मामला उठाया गया था। सभी सदस्यों की राय थी कि वक्फ अधिनियम में मस्जिद के लिये जमीन की अदला-बदली की इजाजत नहीं है और इसे “शरीयत कानून में अवैध” माना गया है।