16 सीटों पर मजबूत स्थति में कांग्रेस, 8 सीटों पर कड़ा मुकाबला
भोपाल ब्यूरो। मध्य प्रदेश में विधानसभा की 28 सीटों के लिए हो रहे उपचुनाव के लिए 3 नवंबर को मतदान होना है। प्रचार में अब सिर्फ चंद घंटो का समय बाकी बचा है। ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस सभी सीटों पर अपनी पूरी ताकत झौंक रहे हैं।
कांग्रेस की सत्ता में वापसी के लिए राज्य के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों दिग्विजय सिंह और कमलनाथ के कंधो पर बड़ी ज़िम्मेदारी हैं। जहां कमलनाथ ताबतोड़ सभाएं कर रहे हैं वहीँ पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह परदे के पीछे से मोहरे सैट करने में लगे हैं। 28 विधानसभा सीटों पर जिन इलाको में बीजेपी, सपा और बसपा का जोर है, दिग्विजय सिंह वहां मोहरे सैट कर वोटों में सेंधमारी कर रहे हैं।
अभी हाल ही में दिग्विजय सिंह का एक ऑडियो भी वायरल हुआ था, जिसमे वे समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार को कांग्रेस के पक्ष में बैठने के लिए कह रहे हैं। वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के प्रयासों से कई सीटों पर रातोरात चमत्कारिक बदलाव भी हुए हैं।
दिग्विजय सिंह राजनीति के मजबूत धुरंधर माने जाते हैं। मध्य प्रदेश का कोई कौन ऐसा नहीं हैं जहाँ उनके समर्थक नहीं हैं। पार्टी सूत्र बताते हैं कि दिग्विजय सिंह ने 28 सीटों पर पार्टी के लिए अवरोध खत्म करने और पार्टी को एकजुट करने का काम किया।
यही कारण है कि जिन 28 सीटों पर विधानसभा चुनाव होना है, उनमे 16 सीटों पर कांग्रेस के लिए क्लीन स्वीप का रास्ता बन चूका है। 8 सीटों पर कांग्रेस बेहतर स्थति में हैं। शेष 4 सीटों पर कांग्रेस की कोशिशें जारी हैं।
सूत्रो ने कहा कि डबरा, गोहद, ग्वालियर, सुमावली, मुंगावली, बमोरी, बदनावर, सुरखी, हाट पिपल्या, अनूपपुर, सांची, सांवेर, सुवासरा, बड़ामलहरा, जौरा और मांधाता सीट पर कांग्रेस की स्थति अभेद हो गई है। वहीँ ग्वालियर पूर्व, मुरैना, करैरा, अंबाह, अशोक नगर, आगर, नेपानगर और पोहरी सीट पर पार्टी बेहतर करने की स्थति में हैं।
जानकारों की माने तो 28 सीटों के उपचुनाव मध्य प्रदेश राजनीति में मील का पत्थर साबित होंगे। ये उपचुनाव मध्य प्रदेश में कई नेताओं का राजनैतिक भविष्य तय करेंगे।
पिछले एक सप्ताह में ज्योतिरादित्य सिंधिया और सीएम शिवराज सिंह चौहान ने चुनाव प्रचार में खासा पसीना बहाया है। ग्वालियर चंबल इलाके की 16 सीटें ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन चुकी हैं। इन सीटों पर बीजेपी का प्रदर्शन पार्टी में सिंधिया का कद और भविष्य दोनों तय करेंगी।
वहीँ 28 सीटों के लिए हो रहे उपचुनाव के परिणाम राज्य में बीजेपी सरकार का भविष्य तय करेंगे। मुख्यमंत्री शिवराज अपनी सरकार के साथ राज्य की सत्ता में बने रहेंगे या जायेंगे, ये10 नवंबर को तय हो जायेगा। लेकिन इससे भी अलग यदि परिणाम बीजेपी के पक्ष में नहीं आते तो न सिर्फ बीजेपी की सारी मेहनत पानी फिर जाएगा बल्कि कांग्रेस के उन विधायकों के इस्तीफे भी बेकार हो जाएंगे, जिन्होंने सिंधिया के साथ बीजेपी का दामन थाम लिया था।
चुनाव आयोग के फैसले पर क्या बोले कमलनाथ:
मध्य प्रदेश में चुनाव आयोग द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का स्टार प्रचार का स्टेटस रद्द करने पर टिप्पणी करने हुए कमलनाथ ने कहा कि स्टार प्रचारक न तो कोई कद है और न ही कोई पद है। मैं चुनाव आयोग के बारे में कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता, 10 नवंबर के बाद टिप्पणी करूंगा क्योंकि जनता अंत में सबसे ज़्यादा मायने रखती है और वो सब कुछ जानती है।