दो राजाओं की लड़ाई में फंसे कमलनाथ, 20 मंत्रियों से लिए इस्तीफे
भोपाल ब्यूरो। मध्य प्रदेश में चल रही सियासी उठापटक के बीच अब तस्वीर कुछ साफ़ होती जा रही है। स्थानीय नेताओं की माने तो असल लड़ाई पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच की है।
कमलनाथ सरकार के लिए खड़ी की जा रही हर चुनौती का तोड़ दिग्विजय सिंह पर्दे के पीछे से दे रहे हैं। यदि कारण है कि बीते सप्ताह कमलनाथ की पकड़ से दूर गए आठ विधायकों को वापस लाने में दिग्विजय सिंह की बड़ी भूमिका रही।
इस बात आठ विधायकों का नहीं बल्कि 17 विधायकों का मामला है। इसमें पांच मंत्री भी शामिल हैं। वहीँ बताया जाता है कि कमलनाथ सरकार के दो मंत्री अभी रात में बेंगलुरु के लिए निकले हैं।
कांग्रेस विधायकों के बेंगलुरु में डेरा जमाये जाने से यह साफ़ हो गया है कि कहीं न कहीं बीजेपी इस खेल की कड़ी है और चूँकि विधायकों को ज्योतिरादित्य सिंधिया का समर्थक बताया जा रहा है इसलिए यह भी साफ़ होता जा रहा है कि सिंधिया भी बीजेपी नेताओं के सम्पर्क में बने हुए हैं।
हालाँकि अभी मुख्यमंत्री कमलनाथ के खेमे ने हार नहीं मानी है। कमलनाथ ने दिल्ली से भोपाल पहुँचते ही अपने करीबी नेताओं से अपने आवास पर बैठक की। इस बैठक में दिग्विजय सिंह और जीतू पटवारी भी मौजूद थे। इस बैठक में कमलनाथ ने अपने लीगल एडवाइजर विवेक तन्खा से कानूनी प्रक्रियाओं के बारे में पूरी जानकारी लेने के बाद 20 मंत्रियों से इस्तीफे ले लिए हैं।
वहीँ माना जा रहा है कि मंगलवार को ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया का जन्मदिन होने के अवसर पर ज्योतिरादित्य सिंधिया कोई बड़ा एलान कर सकते हैं। सूत्रों ने कहा कि ऐसी भी संभावना बनती दिख रही है कि सिंधिया 20 विधायकों के साथ नई पार्टी का एलान करें या वे बीजेपी के साथ मिलकर कोई और एलान भी कर सकते हैं।
वहीँ मध्य प्रदेश में चल रही सियासी हलचलों की धमक दिल्ली तक सुनाई दे रही है। दिल्ली में बीजेपी नेताओं ने देर शाम बैठक कर मध्य प्रदेश को लेकर चर्चा की। वहीँ मंगलवार (आज) शाम को भोपाल में बीजेपी विधायक दल की बैठक बुलाई गई है।
आज ही कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई गई है। सूत्रों की माने तो पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान को नेता विधायक दल बनाया जाएगा।
इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई को बताया कि ‘हमने ज्योतिरादित्य जी से सम्पर्क करने की कोशिश की लेकिन बताया गया कि वे स्वाइनफ्लू से पीड़ित हैं, इसलिए उनसे बात नहीं हो सकी है।’
हालाँकि कहा जा रहा है कि कमलनाथ ने 20 मंत्रियों के इस्तीफे इसलिए लिए हैं जिससे वे केबिनेट का नए सिरे से गठन कर सकें। पीसी शर्मा ने कहा कि केबिनेट की बैठक में सभी मंत्रियों ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को इसलिए इस्तीफे सौंप दिए जिससे मुख्यमंत्री नई केबिनेट के गठन का काम कर सकें। उन्होंने कहा कि कमलनाथ सरकार को कोई खतरा नहीं है, सरकार पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी।
मध्य प्रदेश की सियासी उठापटक के बीच पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से उनके आवास दस जनपथ पर मुलाकत की। माना जा रहा है कि यह मुलाकात मध्य प्रदेश संकट को लेकर की गई।
फिलहाल सभी की नज़रें कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया पर टिकी हैं। अहम सवाल है कि कमलनाथ सरकार के लिए पैदा हुआ संकट कैसे दूर होगा। यदि 20 बागी विधायकों ने पाला बदला तो कमलनाथ सरकार के अल्पमत में आने का खतरा पैदा हो जायेगा।