हाथरस केस में सीएमओ का दावा: 11 दिन बाद लिए गए सैंपल, नहीं हो सकती रेप की पुष्टि

हाथरस केस में सीएमओ का दावा: 11 दिन बाद लिए गए सैंपल, नहीं हो सकती रेप की पुष्टि

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से दावा किया जा रहा है कि हाथरस काण्ड में पीड़ित युवती के साथ रेप की पुष्टि नहीं हुई है। वहीँ जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, अलीगढ के सीएमओ का कहना है कि जिस एफएसएल रिपोर्ट की बात कही जा रही है उसके सैंपल घटना के 11 दिन बाद लिए गए थे। इसलिए उस रिपोर्ट के कोई मायने नहीं हैं।

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक हाथरस काण्ड में पीड़ित मृतक युवती के साथ हुई घटना 14 सितंबर की है। इसके दो सफ्ताह बाद पीड़ित युबती को अलीगढ के मेडिकल कॉलेज (जेएलएनएमसी) में लाया गया था। मेडिकल कॉलेज के सीएमओ का कहना है कि जिस एफएसएल रिपोर्ट के आधार पर पीड़िता के साथ रेप न होने का दावा किया जा रहा ही वह घटना के 11 दिन बाद लिए गए सैंपल के आधार पर तैयार किया गया है। जिसके कोई मायने नहीं हैं।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक मेडिकल कॉलेज के सीएमओ डॉक्टर अजीम मलिक ने कहा कि सरकार के नियमानुसार घटना के 96 घंटे के अंदर ही सैंपल लिए जाने चाहिए। जबकि घटना के 11 दिन बाद सैंपल लिए गए। ऐसे में इतनी देरी होने पर रेप या गैंगरेप की पुष्टि नहीं हो सकती है।

हाथरस केस में पुलिस की तरफ से दावा किया गया कि पीड़ित मृतक युवती के साथ रेप की पुष्टि नहीं हुई है। पुलिस का कहना है कि मारपीट में चोट लगने से युबती की मौत हुई। एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने कहा था, ‘फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी रिपोर्ट में लड़की के शरीर में कोई स्पर्म नहीं मिला है।

वहीँ अब अलीगढ मेडिकल कॉलेज के सीएमओ के बयान से पुलिस की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं। आखिर पीड़ित युवती के एफएसएल रिपोर्ट के लिए सैंपल लेने के लिए 11 दिनों तक इंतज़ार क्यों किया गया।

विपक्ष इस मामले में पहले ही सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहा है। विपक्ष हाथरस के प्रशासन के काम करने के तरीके को लेकर भी लगातार सवाल उठा रहा है। विपक्ष का आरोप है कि रसूकदार लोगों को बचाने के लिए प्रशासन ने लापरवाही बरती है।

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TeamDigital