नागरिकता बिल को लेकर नीतीश की पार्टी में बगावत के सुर
पटना ब्यूरो। नागरिकता (संशोधन) विधेयक पर भले ही नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड ने मोदी सरकार का साथ दिया हो लेकिन अब इस मामले को लेकर पार्टी के अंदर बागवती सुर उठते दिखाई दे रहे हैं।
पार्टी के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर और प्रवक्ता पवन वर्मा पहले ही नागरिकता (संशोधन) बिल को लेकर अपना विरोध जाता चुके हैं। दोनों नेताओं ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस बिल के समर्थन पर पुनर्विचार करने को कहा था।
अब एक बार फिर पार्टी के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने ट्विटर पर आवाज़ उठाई है। उन्होंने कहा कि संसद में बहुमत का लाभ लिया गया, अब न्यायपालिका से परे, भारत की आत्मा को बचाने का काम 16 गैर-भाजपा सीएम पर है क्योंकि यह ऐसे राज्य हैं जिन्हें इन एक्ट का संचालन करना है।
उन्होंने कहा कि तीन मुख्यमंत्रियों (पंजाब, केरल और पश्चिम बंगाल) ने CAB और NRC लागू करने से इनकार कर दिया है। अब अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों को अपना स्टेण्ड क्लियर करने का समय आ गया है।
नागरिकता संशोधन विधेयक राज्य सभा में पेश होने से एक दिन पहले मंगलवार को जदयू प्रवक्ता पवन वर्मा ने ट्विटर पर कहा था कि “मैं नीतीश कुमार से अपील करता हूं कि राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल (CAB) पर समर्थन पर दोबारा विचार करें, ये बिल पूरी तरह से असंवैधानिक है और देश की एकता के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि ये बिल जदयू के मूल विचारों के भी खिलाफ हैं, गांधी जी इसका पूरी तरह से विरोध करते।”
वहीँ दूसरी तरफ नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ शुक्रवार को पटना में आयोजित जनता दल यूनाइटेड के विधायक गुलाम रसूल बलयावी ने अपनी मौजूदगी जताकर इस बात के साफ़ संकेत दिए हैं कि जनता दल यूनाइटेड के नागरिकता संशोधन विधेयक पर पार्टी के समर्थन को लेकर रार पैदा हो चुकी है।
गौरतलब है कि पटना मे नागरिकता संशोधन विधेयक और एनआरसी के विरोध में आयोजित विरोध मार्च में जनता दल यूनाइटेड के एमएलसी गुलाम रसूल बलयावी भाग लेने पहुंचे थे।
वहीँ सूत्रों की माने तो जनता दल यूनाइटेड के कई नेता पार्टी द्वारा लोकसभा और राज्य सभा में नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन किये जाने से नाराज़ हैं और वे कभी भी खुलकर सामने आ सकते हैं।
गोरतलब है कि नीतीश कुमार की सेकुलर छवि के चलते कई विधानसभाओं में उनकी पार्टी के उम्मीदवारों को बड़ी तादाद में अल्पसंख्यक वोट भी मिले थे लेकिन तीन तलाक बिल के बाद नागरिकता संशोधन विधेयक पर जनता दल यूनाइटेड के समर्थन के बाद अल्पसंख्यक वोट बैंक दहने का खतरा पैदा हो सकता है।