बिहार में चुनाव से पहले एनडीए से हाथ खींच सकते हैं नीतीश-पासवान

बिहार में चुनाव से पहले एनडीए से हाथ खींच सकते हैं नीतीश-पासवान

नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन एक्ट और एनआरसी को लेकर एनडीए के घटक दलों ने अभी से बीजेपी से दूरी बनाना शुरू कर दिया है। बिहार की दो पार्टियों जनता दल यूनाइटेड और लोकजनशक्ति पार्टी की तरफ से एनआरसी के मुद्दे पर बीजेपी नेताओं के पलट बयान आ रहे हैं।

मूलतः बिहार में जन्मी जनता दल यूनाइटेड और लोकजनशक्ति पार्टी की नज़र राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव पर टिकी है। माना जा रहा है कि सीएए और एनआरसी के मुद्दे पर बीजेपी के साथ खड़े होने से दोनों दलों के प्रति राज्य के अल्पसंख्यक मतदाताओं के रुझान में परिवर्तन आया है।

अपनी सेकुलर छवि के चलते बिहार की सत्ता में पहुंचे नीतीश कुमार राज्य में आगामी चुनाव को लेकर अभी से तैयारी में जुटे हैं और उनके सामने सेकुलर वोटों को संजोकर रखने की बड़ी चुनौती है। वहीँ दूसरी तरफ लोकजनशक्ति पार्टी के सामने भी अल्पसंख्यक मतों को पार्टी से जोड़े रखने की अहम चुनौती होगी।

बिहार में नागरिकता संशोधन एक्ट के विरोध में हुए प्रदर्शनों से अल्पसंख्यक समुदाय के मतदाताओं ने एक साफ सन्देश दे दिया है कि वे उसी पार्टी के साथ जायेंगे और सीएए और एनआरसी के मुद्दे पर उनके साथ खड़ा होगा।

लोजपा नेता चिराग पासवान ने शुक्रवार को ट्वीट कर कहा, “एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों को विश्वास में लेना सरकार की जिम्मेदारी है। लोक जनशक्ति पार्टी एक सहयोगी के रूप में केंद्र से अनुरोध करती है कि केंद्र प्रदर्शनकारियों से संवाद करे।”

वहीँ जनता दल यूनाइटेड ने साफतौर पर कहा है कि एनआरसी के मुद्दे पर मोदी सरकार अपना रुख साफ करे और इसके लिए एनडीए घटकदलो की बैठक बुलाये।

जेडीयू के प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि एनआरसी के खिलाफ कई एनडीए दलों ने अपने विचार व्यक्त किए हैं। त्यागी ने कहा, “अगर एनडीए की बैठक बुलाई जाती है, तो जदयू इसका स्वागत करेगा। सीएए-एनआरसी को लेकर जारी विरोध के बीच बैठक बहुत महत्वपूर्ण है।” उन्होंने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्पष्ट कर दिया है कि इसे राज्य में लागू नहीं किया जाएगा। “हम एनआरसी के खिलाफ हैं।”

इससे पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को घोषणा की कि प्रस्तावित राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) राज्य में लागू नहीं होगा। एक सवाल के जबाव में नीतीश कुमार ने कहा “काहे का एनआरसी? यह बिलकुल लागू नहीं होगा।

बता दें कि अगले वर्ष 2020 में बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में नीतीश कुमार मोदी सरकार के किसी ऐसे फैसले के भागीदार बनना नहीं चाहते जिससे राज्य में उनके अल्पसंख्यक वोट बैंक पर असर पड़े।

सीआईए और एनआरसी के मुद्दे पर नीतीश की पार्टी में कई नेताओं ने विरोधावासी बयान दिए हैं। पार्टी के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर और प्रवक्ता पवन वर्मा नागरिकता संशोधन एक्ट के समर्थन पर पुनर्विचार करने की मांग कर चुके हैं।

माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार कोई बड़ा फैसला भी ले सकते हैं। सूत्रों की माने तो जनता दल यूनाइटेड का एक गुट बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने के खिलाफ है। ऐसी स्थिति में नीतीश कुमार को तय करना होगा कि वे विधानसभा चुनाव तक बीजेपी के साथ बने रहना चाहते हैं या राज्य में अकेले दम पर चुनाव लड़ेंगे अथवा वे फिर से राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस के साथ मिलकर बीजेपी को ध्वस्त करेंगे।

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