क्या बीजेपी के अपने ही बनेंगे 50 सीटों पर हार का कारण

क्या बीजेपी के अपने ही बनेंगे 50 सीटों पर हार का कारण

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के लिए उसके सहयोगी दल मुसीबत बनकर सामने आये हैं। बिहार में भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी जनता दल यूनाइटेड और वीआईपी पार्टी भी चुनिंदा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का एलान कर चुके हैं। इससे कई सीटों पर बीजेपी की जीत का गणित बिगड़ता दिखाई दे रहा है। अहम बात है कि इन सीटों में पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी और सीएम योगी का गृह जनपद गोरखपुर भी शामिल है।

जनता दल यूनाइटेड ने एलान किया है कि वह उत्तर प्रदेश की कम से कम 51 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करेगी वहीँ वीआईपी पार्टी भी करीब एक दर्जन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का एलान कर चुकी है। ये दोनों ही दल बिहार में बीजेपी के सहयोगी दल हैं।

जनता दल यूनाइटेड और वीआईपी दोनों ही बिहार की सीमा से सटे जिलों की विधानसभा सीटों पर नज़र लगाए बैठे हैं। जनता दल यूनाइटेड के मुताबिक, जिन सीटों पर पार्टी चुनाव लड़ने का मन बना चुकी हैं उनमे 7 जिले शामिल हैं। इनमे गोरखपुर, वाराणसी, कुशीनगर, बलिया, देवरिया, गाज़ीपुर, चंदौली शामिल हैं। इसके अलावा पार्टी आज़मगढ़ जिले की भी दो सीटों पर चुनाव लड़ने का मन बना रही है।

जानकारों की माने तो बिहार से सटे 7 जिलों की विधानसभा सीटों पर जनता दल यूनाइटेड और मुकेश सहनी की वीआईपी पार्टी के मैदान में उतरने का बड़ा घाटा बीजेपी को हो सकता है। सूत्रों के मुताबिक, जनता दल यूनाइटेड कई सीटों पर बीजेपी को बड़ा डेंट दे सकती है। यदि जनता दल यूनाइटेड दो से तीन फीसदी वोट भी हासिल करता है तो उसका बड़ा प्रभाव भारतीय जनता पार्टी पर पड़ना तय है।

चुनाव विश्लेषकों का कहना है कि उत्तर प्रदेश में भले ही जनता दल यूनाइटेड का खाता खुलना संभव नहीं है लेकिन वह बीजेपी के वोटों का बंदरबांट अवश्य कर सकता है। यदि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उत्तर प्रदेश के सीमवर्ती जिलों में सघन प्रचार किया तो इससे सीधा सीधा घाटा बीजेपी को होगा।

फिलहाल देखना है कि जनता दल यूनाइटेड और वीआईपी उत्तर प्रदेश की कौन कौन सी सीटों पर अपने उम्मीदवार मैदान में उतारते हैं, लेकिन इतना तय है कि कई सीटों पर बीजेपी के लिए विपरीत परिस्थितियां आवश्य पैदा हो सकती हैं।

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TeamDigital