अयोध्या मामले में जमीयत ने दायर की पुनर्विचार याचिका, फैसले के इन बिंदुओं को बनाया आधार

अयोध्या मामले में जमीयत ने दायर की पुनर्विचार याचिका, फैसले के इन बिंदुओं को बनाया आधार

नई दिल्ली। अयोध्या मामले में सुप्रीमकोर्ट द्वारा 9 नवंबर को दिए गए फैसले के खिलाफ जमीयत-उलेमा-ए-हिन्द ने आज सुप्रीमकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर कर दी है। याचिका एम सिद्दीक की ओर से दाखिल की गई है।

पुनर्विचार याचिका में सुप्रीमकोर्ट द्वारा 9 नवंबर को दिए गए फैसले के तीन बिंदुओं को आधार बनाया गया है। इतना ही नहीं फैसले में विवादित भूमि के ऐतिहासिक तथ्यों को लेकर सवाल उठाये गए हैं।

याचिका में सुप्रीमकोर्ट के फैसले के जिन तीन बिंदुओं को पुनर्विचार का आधार बनाया गया है वे इस तरह हैं।

1- याचिका में कहा गया है कि ‘सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि इस बात के पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं कि मन्दिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी।’
2- याचिका में कहा गया है कि ‘सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि 22-23 दिसंबर 1949 की रात आंतरिक अहाते में मूर्तियां रखना भी गलत था।
3- याचिका में कहा गया है कि ‘कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा तोड़ना भी गलत था लेकिन इन गलतियों पर सजा देने के बजाय उनको पूरी ज़मीन दे दी गई।’

सुप्रीमकोर्ट के फैसले में ऐतिहासिक तथ्यों पर सवाल:

  1. याचिका में सुप्रीमकोर्ट के फैसले में दिए गए कुछ ऐतिहासिक तथ्यों को लेकर पुनर्विचार की बात कही गयी है।
  2. याचिका में कहा गया है कि सुप्रीमकोर्ट का निष्कर्ष सही नहीं है कि यह दिखाने के लिए सबूत हैं कि हिंदुओं ने मस्जिद के परिसर में 1857 से पहले पूजा की थी।
  3. कोर्ट के फैसले में ये भी निष्कर्ष सही नहीं कि यह दिखाने के लिए सबूत हैं कि 1857 और 1949 के बीच आंतरिक आंगन मुस्लिम के कब्जे में थे।
  4. सुप्रीमकोर्ट ने अपने निष्कर्ष में कहा था कि मस्जिद पक्ष प्रतिकूल कब्जे को साबित करने में सक्षम नहीं रहा और ये भी सही नहीं है।
  5. सुप्रीमकोर्ट ने एएसआई की रिपोर्ट में पढ़ा था कि यह निष्कर्ष निकाला गया कि मस्जिद खाली भूमि पर नहीं बल्कि एक गैर-इस्लामी संरचना के खंडहरों पर बनाई गई थी, जो कि 10वीं शताब्दी के बड़े पैमाने पर हिंदू ढांचे से मिलती जुलती थी. ये भी सही नहीं है।
  6. सुप्रीमकोर्ट ने यात्रियों, इतिहासकारों और लेखकों के खातों के रूप में हिंदू पक्ष द्वारा दिए गए सबूतों को स्वीकार किया लेकिन हमारे द्वारा सुसज्जित साक्ष्य को अनदेखा कर दिया।
  7. सुप्रीमकोर्ट ने इस निष्कर्ष पर गलती की है कि हिन्दू लोग निर्विवाद रूप से मस्जिद के अंदर पूजा करते थे जो भीतर के गर्भगृह को भगवान राम का जन्म स्थान मानते हैं।
  8. सुप्रीमकोर्ट का मुस्लिम पक्ष को अनुच्छेद 143 के तहत मुस्लिम पक्ष को 5 एकड जमीन देने का फैसला भी सही नहीं।

जमीयत-उलेमा-ए-हिन्द के सूत्रों के मुताबिक सुप्रीमकोर्ट में दायर की गयी पुनर्विचार याचिका पर आज शाम जमीयत के नेता अशरद मदनी प्रेस कांफ्रेंस कर मीडिया को इसके बारे में जानकारी देंगे।

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