गुजरात सरकार ने आरोपी पुलिस अधिकारीयों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति से किया इंकार
अहमदाबाद। वर्ष 2004 के इशरत जहां एनकाउंटर मामले में गुजरात सरकार ने आरोपी तीन पुलिस अधिकारीयों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने से इंकार कर दिया है। आरोपी तीन पुलिस अधिकारीयों में आईपीएस अधिकारी जी.एल. सिंघल भी शामिल हैं।
गौरतलब है कि आईपीएस अधिकारी जी.एल. सिंघल को बीजेपी के शीर्ष नेताओं का करीबी माना जाता है। शनिवार को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने शनिवार को यहां एक अदालत को जानकरी देते हुए कहा कि गुजरात सरकार ने आरोपी तीन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है।
इशरत जहां केस में सीबीआई ने राज्य सरकार से विशेष न्यायाधीश वी.आर. रावल के निर्देश पर आईपीएस अधिकारी जीएल सिंघल तथा तरुण बारोट और अनाजू चौधरी के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी थी।
बता दें कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 197 के तहत, सरकारी कर्तव्य के निर्वहन के दौरान किए गए कार्यों के लिए सरकारी कर्मचारियों पर मुकदमा चलाने के लिए राज्य सरकार की मंजूरी की आवश्यकता होती है।
विशेष अभियोजक आर. सी. कोडेकर ने गुजरात सरकार द्वारा मुकदमा चलाने की अनुमति न देने का आशय पत्र शनिवार को अदालत को सौपा। इस पत्र में गुजरात सरकार का हवाला देते हुए कहा गया है कि राज्य सरकार ने तीनो पलिस अधिकारीयों पर मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं दी है।
गौरतलब है कि 15 जून 2004 को पुलिस ने 17 वर्षीय इशरत जहां तथा उसके साथ आये तीन साथियों को एनकाउंटर में मौत के मार गिराया था। उस समय पुलिस इशरत जहां और उसके साथियो पर आंतकवादी होने का शक ज़ाहिर करते हुए दावा किया था कि ये चारो गुजरात के तब के सीएम और अब पीएम नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने अहमदाबाद आए थे।
इस मामले को गुजरात हाईकोर्ट के ऑर्डर पर बनाई गई एसआईटी ने इस मुठभेड़ को फर्जी करार दिया था। बाद में कोर्ट के आदेश पर इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई थी।