ग्राउंड रिपोर्ट: आम मतदाता के गले नहीं उतर रहे राम मंदिर, काशी विश्वनाथ और मथुरा का मुद्दा
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के लिए भले ही चुनाव आयोग ने रैली और रोड शो पर पाबंदी लगा रखी है लेकिन राजनीतिक दल और उनसे जुड़े उम्मीदवार मतदाताओं को रिझाने के लिए डोर टू डोर प्रचार के लिए जा रहे हैं। इसके अलावा ज़्यादा फोकस सोशल मीडिया पर है।
आज की स्थिति देखें तो मतदाता अभी खुलकर सामने नहीं आ रहा है। मतदाताओं की ख़ामोशी से प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को एंटी इनकंबेंसी का डर सताने लगा है। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण, वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर और मुफ्त राशन वितरण को अपनी उपलब्धि बता रही भारतीय जनता पार्टी का सबसे बड़ा टेंशन यही है कि आम मतदाता उसकी उपलब्धियों को तरजीह नही दे रहा।
वहीँ पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कई विधानसभा क्षेत्रो में बीजेपी उम्मीदवारों को प्रचार करने से रोका गया और उन्हें बिना प्रचार किये ही वापस लौटना पड़ा है। मुज़फ्फरनगर, शामली और बागपत के कुछ इलाको में किसान आंदोलन की धमक आज भी सुनाई दे रही है। जिसके कारण इन इलाको में बीजेपी का विरोध प्रतिदिन बढ़ रहा है।
इन इलाकों में कई मतदाताओं से बात करने पर पता चला कि वे बीजेपी के राम मंदिर निर्माण, वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण और मुफ्त राशन वितरण को उपलब्धि नहीं मानते। स्थानीय मतदाताओं का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी ने 2017 के चुनाव में जो वादे किये थे उनमे से अधिकतर वादे पूरे नही हुए हैं।
लोगों ने कहा कि पीएम मोदी ने 2022 तक किसानो की आय दो गुनी करने का वादा किया था, किसानो की आय तो दो गुनी नही हुई उल्टा किसानो की लागत बढ़ गयी है। अधिकतर गन्ना की खेती पर निर्भर स्थानीय लोगों ने कहा कि किसानो के गन्ना के बकाये का भुगतान अभी भी नही हुआ है। इसके अलावा किसानो को कड़ाके की सर्दी में भी पूरी पूरी रात खेतो में पहरा देकर आवारा पशुओं से अपनी फसल बचानी पड़ रही है।
वहीँ मथुरा की मांट विधानसभा सीट पर स्थानीय लोगों से बातचीत में एक और बात निकलकर सामने आयी। लोगों ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण सुप्रीमकोर्ट के फैसले से हुआ है, उसमे बीजेपी का कोई योगदान नहीं है और रही बात मथुरा की तो यहां पहले से बहुत मंदिर हैं।
लोगों ने कहा कि बीजेपी रोज़गार की बात क्यों नहीं करती? हमारे यहां युवक बेरोज़गार घूम रहे हैं, उन्हें नौकरी नहीं मिल रही, कई युवाओं की शादियां तक टूट गयी हैं। लोगों ने आरोप लगाया कि बीजेपी सिर्फ धर्म को आगे रखकर चुनाव लड़ना चाहती है लेकिन अब जनता समझदार हो गयी है। इस बार बीजेपी की बातो में मतदाता नहीं आने वाला।
अगर पहले चरण में होने जा रहे पश्चिमी उत्तर प्रदेश की विधानसभा सीटों की बात करें तो इस बार हालत कुछ बदले बदले से नज़र आ रहे हैं। यहां पिछले चुनाव की तरह इस बार मामला एकतरफा दिखाई नहीं दे रहा है और लगभग सभी सीटों पर सत्तारूढ़ बीजेपी को सपा-रालोद गठबंधन से कड़ी टक्कर मिलने की संभावना बन रही है। हालांकि कुछ एक सीटें ऐसी भी हैं जहां बसपा और कांग्रेस ने भी मजबूत उम्मीदवार दिए हैं।
(रिपोर्ट: प्रताप सिंह और सुनीता दीक्षित)