डीएम ने मौखिक रूप से रुकवाई मस्जिदों की अज़ान, हाईकोर्ट पहुंचा मामला
लखनऊ ब्यूरो। देश में कोरोना संक्रमण के चलते सभी धार्मिक स्थलों को बंद रखने का फैसला लिया गया है लेकिन मस्जिदों से अज़ान पर किसी तरह की कोई पाबंदी न होने के बावजूद कई शहरो में प्रशासन द्वारा अपनी मर्जी से अज़ान न देने का फरमान सुनाये जाने के मामले प्रकाश में आये हैं।
उत्तर प्रदेश के गाज़ीपुर में जिलाधिकारी ने मौखिक रूप से मस्जिदों में अज़ान न होने देने का फरमान सुनाया तो मामला हाईकोर्ट पहुँच गया है। डीएम द्वारा मस्जिदों में अज़ान न होने देने का मामला संज्ञान में आने के बाद सांसद अफ़ज़ाल अंसारी ने इलाहबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को इस मामले में पत्र लिखा।
पत्र में कहा गया कि मस्जिदों में सामूहिक तौर पर नामज पढ़ने पर पाबंदी के चलते सिर्फ 4 या 5 लोग ही मस्जिदो में मौजूद रहते हैं। इसमें भी सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखा जाता है, बाकी लोग अपने घरों में नमाज पढ़ रहे हैं और प्रशासन के लोग समय समय पर इसकी जानकारी भी लेते हैं। इसके बावजूद मस्जिदों से होने वाली अज़ान पर बिना किसी लिखित आदेश जारी किये पाबंदी लगाना तानाशाही है।
पत्र में कहा गया कि पवित्र रमजान माह में सहरी और इफ़्तार के एलान के लिए अज़ान दिए जाने की परम्परा है। पत्र में मुख्य न्यायाधीश से निवेदन किया गया कि इस पत्र को जनहित याचिका के तौर पर स्वीकार किया जाए।
सांसद अफ़ज़ाल अंसारी के पत्र को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिका के तौर पर स्वीकार करते हुए इस मामले में सुनवाई की तारीख़ 04 मई तय की है। यह सुनवाई वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से होगी।
कोर्ट ने अपने आदेश में याचिका की कॉपी और अन्य जरूरी कागजात मुख्य स्थायी अधिवक्ता को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। हाई कोर्ट ने इस मामले में अगले हफ्ते यानी 4 मई को सुनवाई का आदेश दिया है।
इससे पहले गाजीपुर से बीएसपी सांसद अफजाल अंसारी ने 26 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में मस्जिदों से होने वाली अजानों पर प्रतिबंध लगाने का जिक्र किया था।