प्रशांत भूषण के समर्थन में रिटायर्ड जजों, ब्यूरोक्रेट्स और शिक्षाविदों का पत्र

प्रशांत भूषण के समर्थन में रिटायर्ड जजों, ब्यूरोक्रेट्स और शिक्षाविदों का पत्र

नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट की अवमानना मामले में देश के जाने माने लोगों ने पत्र लिखकर प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना की कार्रवाही को रद्द किये जाने की मांग की है। इस पत्र पर सुप्रीमकोर्ट और हाईकोर्ट के कई रिटायर्ड जजों, शिक्षाविदों और पूर्व नौकरशाहों ने हस्ताक्षर किये हैं।

इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वालो में रिटायर्ड जस्टिस रूमा पाल, रिटायर्ड जस्टिस आफताब आलम, रिटायर्ड जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी, रिटायर्ड जस्टिस जीएस सिंघवी, रिटायर्ड जस्टिस मदन बी लोकुर और रिटायर्ड जस्टिस गोपाला गौड़ा समेत 13 रिटायर्ड जस्टिस और 166 रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट सहित कई प्रमुख शिक्षाविद और मशहूर हस्तियां शामिल हैं।

पत्र में कहा गया है कि एक स्वतंत्र न्यायपालिका में जज और वकील, दोनों शामिल हैं जो संवैधानिक लोकतंत्र में कानून के शासन का आधार है। इस चिट्ठी में कहा गया है कि दोनों के बीच संतुलन का अभाव या झुकाव, संस्था और राष्ट्र दोनों के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है।

पत्र में वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना की कार्रवाही को रद्द करने की मांग करते हुए कहा गया है कि न्यायपालिका को किसी तरह की पूरी छूट नहीं है कि उसकी आलोचना नहीं हो सकती। इस पूरे मामले में अटॉर्नी जनरल की राय भी नहीं ली गई जो कि कानूनसंगत नहीं है।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण को न्यायपालिका को लेकर किए गए दो ट्वीट के मामले में अवमानना का दोषी करार दिया गया है। इस मामले में 20 अगस्त को सुनवाई के बाद सजा की मियाद तय होगी।

बता दें कि प्रशांत भूषण ने प्रधान न्यायाधीश (CJI) एसए बोबडे और सुप्रीम कोर्ट के 4 पूर्व जजों को लेकर ये टिप्पणी की थी, जिस पर कोर्ट ने स्वत:संज्ञान लेते हुए इसे अदालत की अवमानना माना है।

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TeamDigital