हम खड़ी फसलों को बर्बाद कर देंगे पर घर वापस नहीं जाएंगे: टिकैत
नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 87 दिनों से चल रहा किसान आंदोलन शनिवार को भी जारी रहा। इस बीच भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि कृषि कानूनों के रद्द होने तक किसी भी कीमत पर किसान वापस नहीं जाएगा भले ही उसे अपनी फसल में आग क्यों न लगानी पड़े।
राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार सोच रही है कि फसल आ जाएगी तो किसान घर वापस लौट जाएंगे। हमने कहा कि हम खड़ी फसलों को बर्बाद कर देंगे पर घर वापस नहीं जाएंगे। सरकार को संज्ञान लेना चाहिए। हमने रणनीति बनाई है कि जो किसान यहां रहेगा, फसल आएगी तो उसके खेत का काम गांव की कमेटी करेगी।
महाराष्ट्र में किसान पंचायत के आयोजन के लिए अनुमति न मिलने के सवाल पर राकेश टिकैत ने कहा कि महाराष्ट्र में कुछ शहरों में कोविड के कारण धारा 144 लगाई गई है। वहां कोविड के चलते अधिकारियों ने इजाज़त नहीं दी इसलिए हम वहां पर नहीं जा पाए।
वहीँ हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आज कहा कि किसानों का आंदोलन बहुत लंबा चल चुका है। सरकार को भी चाहिए कि किसानों की बात मानकर इसका समाधान निकाले ताकि किसान घर पर जाएं, अपना काम संभाले, अब आगे फसलों की कटाई भी होने वाली है।
हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि आज नरेंद्र तोमर जी का बयान आया है जिसमें किसानों से दोबारा बातचीत की बात कही गई है। मुझे लगता है कि केंद्र ने पहले भी संशोधन के तौर पर अधिकतर बातें मानी हैं। आने वाले दिनों में बातचीत होती है तो मामले का हल निकलेगा।
सरकार की तरफ से अभी तक नहीं भेजा गया कोई प्रस्ताव:
दूसरी तरफ किसान संगठनों के साथ 12वे दौर की बातचीत के लिए अभी तक सरकार की तरफ से कोई पहल नहीं की गई है। अभी हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था किसानो और उनके बीच में सिर्फ एक फोन कॉल की दूरी है। किसान संगठनों ने पीएम मोदी के बयान का स्वागत करते हुए आगे की बातचीत के लिए सकारात्मक रुख दिखाया था।
इतना ही नहीं किसान नेताओं ने मीडिया के माध्यम से यह सवाल बार बार पूछा कि पीएम मोदी कहते हैं कि बातचीत के लिए एक फोन कॉल की दूरी है लेकिन वो नंबर भी तो बताएं जिस पर किसानो को कॉल करना है। किसान नेताओं ने यह भी कहा कि सरकार की तरफ से बातचीत का लिखित प्रस्ताव आएगा तो वे बातचीत के लिए तैयार हैं लेकिन पीएम मोदी के बयान को15 दिन बीत चुके हैं लेकिन अभी तक सरकार की तरफ से किसानो को कोई औपचारिक प्रस्ताव नहीं भेजा गया है।