कृषि अध्यादेशों के खिलाफ 24 से 26 सितंबर तक रेल रोकेंगे किसान

कृषि अध्यादेशों के खिलाफ 24 से 26 सितंबर तक रेल रोकेंगे किसान

नई दिल्ली। कृषि उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सरलीकरण) अध्यादेश, किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन समझौता और कृषि सेवा अध्यादेश और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अध्यादेश के खिलाफ किसानो का आंदोलन और ज़ोर पकड़ने के आसार बन रहे हैं।

तीन कृषि अध्यादेशों से नाराज़ किसानो ने अब रेल रोकने का फैसला किया है। किसान मज़दूर संघर्ष समिति के सचिव सरवन सिंह पंधेर ने बताया कि हमने तीन कृषि अध्यादेशों के खिलाफ 24 सितंबर से 26 सितंबर तक ‘रेल रोको’ आंदोलन करने का फैसला किया है।

कृषि अध्यादेशों को लेकर मोदी केबिनेट में मंत्री हरसिमरत कौर के इस्तीफे पर पंधेर के कहा कि हरसिमरत कौर बादल जी का इस्तीफा बहुत देर से आया है। उन्होंने लोगों का गुस्सा शांत करने के लिए इस्तीफा दिया। आज भी अगर सुखबीर बादल जी समझते हैं, तो उन्हें अपने लाखों कार्यकर्ताओं के साथ संसद का घेराव करना चाहिए।

बता दें कि लगभग सभी विपक्षी दल कृषि अध्यादेशों का विरोध कर रहे हैं। राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि मैं शुरू से कहता आया हूं कि NDA की सरकार किसान, मज़दूर, गरीब विरोधी सरकार है। ये लोग विरोधी कानून को जबरदस्ती थोपना चाहते हैं। ये कानून पूरी तरीके से किसान विरोधी कानून है जिससे किसानों को लगातार नुकसान होगा और इसका प्रभाव हमारे देश पर पड़ेगा।

कांग्रेस नेता पवन कुमार बंसल ने कहा कि कृषि बिल किसान विरोधी बिल है।देश में ये पहली बार हुआ है कि किसी सरकार ने किसान विरोधी कदम उठाया हो।ये बिल सिर्फ बड़े व्यापारियों के हक में है जो गरीब किसानों का फसल कम कीमत में छीन लेंगे।ये कौन-सी मॉडर्नाइजेशन, सुविधा और प्रोत्साहन की बात कर रहे हैं।

बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने कृषि अध्यादेशों को किसान विरोधी बताया है। उन्होंने कहा कि संसद में किसानों से जुड़े दो बिल, उनकी सभी शंकाओं को दूर किये बिना ही, कल पास कर दिये गये हैं। उससे बी.एस.पी. कतई भी सहमत नहीं है। पूरे देश का किसान क्या चाहता है? इस ओर केन्द्र सरकार जरूर ध्यान दे तो यह बेहतर होगा।

दूसरी तरफ सरकार का दावा है कि किसान बिलो से देश के किसानो को बड़ा फायदा होगा। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तौमर ने कहा कि दोनों विधेयक किसान के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाले हैं। देश तो 1947 में आजाद हुआ लेकिन किसान मंडियों की जंजीरों में बंधा था। आज PM मोदी के नेतृत्व में इन विधेयकों के माध्यम से उन्हें आजादी मिली है।

अपनी राय कमेंट बॉक्स में दें

TeamDigital