किसान नेताओं से राजनाथ की बैठक रही बेनतीजा, 14 से भूख हड़ताल करेंगे किसान
नई दिल्ली। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज भारतीय किसान यूनियन (भानु) के नेताओं के साथ बातचीत कर उन्हें आंदोलन समाप्त करने के लिये मनाने की कोशिश की लेकिन यह बैठक भी बेनतीजा समाप्त हो गई।
वहीँ किसान संगठनों ने एलान किया है कि वे कृषि कानून रद्द होने तक अपना आंदोलन जारी रखेंगे और 14 दिसंबर को देशव्यापी प्रदर्शन के साथ ही आमरण अनशन (भूख हड़ताल) शुरू करेंगे। सिंघु बॉर्डर पर किसान नेता कंवलप्रीत सिंह पन्नू ने कहा कि रविवार को हजारों किसान राजस्थान के शाहजहांपुर से जयपुर-दिल्ली राजमार्ग के रास्ते सुबह 11 बजे अपने ट्रैक्टरों से ‘दिल्ली चलो’ मार्च शुरू करेंगे।
वहीँ दूसरी तरफ केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने आरोप लगाया है कि कुछ नेताओं ने इस आंदोलन को हाइजैक कर लिया है। नक्सल-माओवादी ताक़तें जो वहां हावी हो गई हैं…ऐसे में किसानों को समझना पड़ेगा कि ये आंदोलन उनके हाथ से निकल कर इन माओवादी और नक्सल लोगों के हाथ में चला गया है।
उन्होंने कहा कि हमने उनकी पुरानी बातों में से निचोड़ निकालकर जो उनके संदेह नज़र आए उस पर एक बहुत अच्छा प्रपोजल दिया लेकिन उस पर भी कोई चर्चा करने को तैयार नहीं है। बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि माओवादी और नक्सल उन्हें चर्चा से रोक रहे हैं।
पीयूष गोयल ने कहा, “मैं सभी पॉलिटिकल पार्टियों से डिमांड करता हूं कि उन्हें किसानों को भ्रमित कर उनके कंधों पर एक आंदोलन के रास्ते को प्रोपागेट करने की बजाय इन माओवादी-नक्सल ताक़तों से देश को भली भांति अवगत करवाना चाहिए।”
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि, “मैं सभी पॉलिटिकल पार्टियों से डिमांड करता हूं कि उन्हें किसानों को भ्रमित कर उनके कंधों पर एक आंदोलन के रास्ते को प्रोपागेट करने की बजाय इन माओवादी-नक्सल ताक़तों से देश को भली भांति अवगत करवाना चाहिए।”
पीयूष गोयल ने कहा कि, “मैं समझता हूं कि विपक्ष के 18 दलों ने मिलकर कोशिश कर ली पर भारत नहीं बंद हुआ। भारत चलेगा, भारत और तेज़ चलेगा, दौड़ेगा। ये विश्वास आज देश में है।”
उन्होंने कहा कि, “सबका विश्वास रहता है कि हमारे लीडर हमारा ध्यान रखेंगे पर शायद यहां ऐसे लीडर हैं ही नहीं। ऐसा डर का माहौल इन नक्सल लोगों ने बना दिया है कि जो किसान नेता असल मुद्दों की बात करना भी चाहते हैं तो किसी में हिम्मत ही नहीं बन पा रही है क्योंकि ये डरा देते हैं।
पीयूष गोयल ने कहा कि भारत सरकार के द्वार 24 घंटे किसानों के लिए खुले हैं। मैं समझता हूं कि अगर ये किसान आंदोलन माओवादी और नक्सल ताकतों से मुक्त हो जाए, तो हमारे किसान भाई-बहन जरूर समझेंगे कि किसान के ये बिल उनके और देशहित के लिए हैं।
वहीँ दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा की सीमाओं पर किसानो का आंदोलन आज 17वे दिन भी जारी रहा। इस बीच टिकरी बॉर्डर, सिंघु बॉर्डर और गाज़ीपुर बॉर्डर पर आंदोलन में शामिल होने के लिए किसानो का आना जारी है।