कई जगह पुलिस से झड़प के बाद किसानो को दिल्ली में प्रवेश की अनुमति, सरकार बातचीत को तैयार

कई जगह पुलिस से झड़प के बाद किसानो को दिल्ली में प्रवेश की अनुमति, सरकार बातचीत को तैयार

नई दिल्ली। आज दिनभर दिल्ली की सीमा पर जुटे किसानो से पुलिस की झड़पों के बाद अंततः किसानो को दिल्ली में प्रवेश करने और बुराड़ी में प्रदर्शन करने की अनुमति मिल गई है।

जानकारी के मुताबिक किसानो की बड़ी तादाद को देखते हुए दिल्ली पुलिस के आलाधिकारियों ने गृह मंत्रालय को पूरी जानकारी से अवगत कराया। सूत्रों के मुताबिक पुलिस के आलाधिकारियों ने किसानो को और अधिक देर सीमा पर रोके जाने पर पर स्थिति बिगड़ने का अंदेशा जताते जताया। इसके बाद किसानो अनुमति में प्रदर्शन करने की अनुमति दी गई।

किसानो को बुराड़ी के निरंकारी समागम ग्राउंड में प्रदर्शन की अनुमति दिए जाने के बाद दिल्ली का टिकारी बॉर्डर और वहीँ अंबाला का शंभू बॉर्डर खोल दिया गया। एसपी, अंबाला राजेश कालिया के मुताबिक “हमें बॉर्डर खोलने के आदेश मिल चुके हैं, हमने अंबाला में शंभू बॉर्डर को खोल दिया है। बैरिकेड हटा दिए हैं। इसके बाद ट्रैफिक खुल जाएगा, अब हमारा काम ट्रैफिक को कंट्रोल करना है। अब किसी भी किसान को रोका नहीं जाएगा।”

दिल्ली पुलिस के जनसम्पर्क अधिकारी ईश सिंघल ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से बात करते हुए बताया कि “किसान नेताओं से बातचीत के बाद दिल्ली पुलिस ने उनको शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने की अनुमति दे दी है, इसके लिए बुराड़ी के निरंकारी ग्राउंड को निर्धारित किया गया है। उनसे(किसानों) ये अपील है कि वो शांति बनाए रखें।”

आज पूरे दिन दिल्ली की सीमाओं पर पुलिस से जूझने के बाद किसानो को दिल्ली में प्रवेश करने की अनुमति मिलने के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तौमर ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से कहा कि “भारत सरकार किसानों से चर्चा के लिए तैयार थी, तैयार है और तैयार रहेगी।” उन्होंने कहा कि “मैं सभी किसानों से आग्रह करता हूं कि सर्दी के मौसम में और कोविड के संकट में आंदोलन स्थगित करें और चर्चा का रास्ता अपनाएं। भारत सरकार उनसे चर्चा करने के लिए तैयार है।”

कृषि मंत्री ने कहा कि “इससे पहले भी 2 चरण अपने स्तर पर, सचिव स्तर पर किसानों से वार्ता हो चुकी है। 3 दिसंबर को बातचीत के लिए किसान यूनियन को हमने आमंत्रण भेजा है।”

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि “उनसे (प्रदर्शन कर रहे किसान) बातचीत करके समाधान निकाला जाए, उनकी मांग जायज़ हैं। हम उनका समर्थन करते हैं। जो तीन कानून बनाए गए हैं वो किसान के हित में नहीं हैं।”

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TeamDigital