कल से और तेज होगा किसान आंदोलन, समर्थन में आयीं खाप पंचायतें, 5 मुख्य मार्गो को करेंगे जाम

कल से और तेज होगा किसान आंदोलन, समर्थन में आयीं खाप पंचायतें, 5 मुख्य मार्गो को करेंगे जाम

नई दिल्ली। कृषि कानूनों के विरोध कर रहे किसानो का आंदोलन अब मोदी सरकार के गले की हड्डी बनता दिखाई दे रहा है। अब हरियाणा की खाप पंचायतो ने भी किसान आंदोलन का समर्थन करने का एलान किया है।

आज खाप पंचायतो के प्रतिनिधियों की बैठक में फैसला लिया गया कि सभी खाप पंचायतें आंदोलनकारी किसानो का समर्थन करती हैं और कृषि कानूनों के खिलाफ सरकार से लड़ाई लड़ रहे किसानो के साथ हैं।

बैठक के बाद रोहतक के विधायक सोमवीर सांगवान ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से कहा कि “सभी खाप पंचायतों ने आज बैठक में फैसला लिया कि वो तन-मन-धन से देश के किसानों के साथ है। सभी खापें किसानों के सहयोग के लिए कल दिल्ली कूच करेंगी।”

5 मुख्य मार्गो को बंद करेंगे किसान:

वहीँ दूसरी तरफ सिंधु बॉर्डर पर जुटे किसानो ने एलान किया है कि वे बुराड़ी नहीं जाएंगे और कई मार्गो का छक्का जाम करेंगे। एक किसान नेता ने कहा कि सरकार द्वारा बातचीत के लिए जो कंडीशन थी हम उसे किसान संगठनों का अपमान मानते हैं। अब हम बुराड़ी पार्क में बिलकुल नहीं जाएंगे। हमें पता चला है कि वो पार्क नहीं ओपन ज़ेल है। हम ओपन ज़ेल में जाने की बजाय 5 मेन मार्ग जाम कर दिल्ली की घेराबंदी करेंगे।

सरकार खुले मन से बातचीत को तैयार: कृषि मंत्री

किसानो के आंदोलन के तेजी पकड़ने के बीच कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तौमर ने कहा कि “भारत सरकार किसानों से तीन दौर की वार्ता कर चुकी है, चौथी बार तीन दिसंबर को मिलने का प्रस्ताव दिया था। सरकार हर स्तर पर खुले मन से बातचीत करने को तैयार है पर किसान यूनियन को बातचीत का माहौल बनाना चाहिए। उन्हें आंदोलन का रास्ता छोड़ चर्चा का रास्ता अपनाना चाहिए।”

सरकार के अड़ियल रवैये से बिगड़ी बात: हुड्डा

वहीँ किसानो की बात न सुनी जाने को लेकर हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हरियाणा सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि “ये बॉर्डर सील नहीं होते अगर हरियाणा सरकार वॉटर कैनन से किसानों को रोकने की कोशिश न करती। सरकार को किसानों के लिए पहले ही जगह निर्धारित कर देनी चाहिए थी। हरियाणा सरकार ने सड़कें खुदवाकर किसान के अहम को चोट पहुंचाने का काम किया।”

उन्होंने कहा कि “किसानों को शक है कि अगर वो बुराड़ी जाएंगे तो जो प्रेशर है वो कम हो जाएगा। उनका ये संदेह सही भी हो सकता और गलत भी। ऐसे में सरकार को अड़ियल रवैया नहीं अपनाना चाहिए। किसानों की मांगें जायज़ हैं। उनसे बात करके रास्ता निकालना चाहिए।”

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