कृषि कानूनों के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट पहुंचे किसान संगठन
नई दिल्ली। कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे किसानो को सरकार की तरफ से निराशा हाथ लगने के बाद किसान संगठनों ने अब सुप्रीमकोर्ट का रुख किया है। कृषि कानूनों के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट में दायर याचिका में किसान संगठनो ने कृषि कानूनों को तुरंत रद्द करने की मांग की है।
वहीँ दूसरी तरफ आज किसानो की अहम बैठक हो रही है। इस बैठक में आगे की रणनीति तय की जायेगी। किसान नेताओं का कहना है कि किसी भी हाल में कृषि कानूनों के रद्द होने तक वे सड़को पर बैठे रहेंगे।
कृषि कानूनों के खिलाफ आज 16वे दिन भी किसानो का विरोध प्रदर्शन जारी है। दिल्ली से सटे राज्यों पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सीमाओं पर किसान अभी भी डंटे हुए हैं।
दिल्ली के गाज़ीपुर बॉर्डर पर भारतीय किसान यूनियन के नेता ऋषिपाल सिंह ने कहा कि आज तक प्रधानमंत्री की मन की बात पूरी जनता ने सुनी,लेकिन आज जब जन का नंबर आया तो वो हमारी बात सुनने को तैयार नहीं हैं। किसान MSP में लिखित कानून की गारंटी की ही मांग कर रहा है लेकिन सरकार इस पर पता नहीं क्यों गुमराह करने में लगी हुई है।
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा, “सरकार और किसान दोनों को पीछे हटना होगा, सरकार कानून वापस ले और किसान अपने घर चला जाएगा।”
कृषि कानून को लेकर देश के सभी जिलों में प्रेस कांफ्रेंस करेगी बीजेपी:
भारतीय जनता पार्टी आज से नए कृषि बिलों पर देश के सभी ज़िलों में प्रेस कॉन्फ्रेंस और चौपाल आयोजित करेगी। आने वाले दिनों में 700 प्रेस कॉन्फ्रेंस और 700 चौपाल आयोजित की जाएंगी।
किसानो की तरफ से कोई प्रस्ताव आएगा तो सरकार बातचीत के लिए तैयार: कृषि मंत्री
इस बीच कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तौमर ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से कहा, “किसान आंदोलन के दौरान यूनियन के साथ छह दौर की बातचीत हुई। सरकार का लगातार आग्रह था कि कानून के वो कौन से प्रावधान हैं जिन पर किसान को आपत्ति है, कई दौर की बातचीत में ये संभव नहीं हो सका।”
उन्होंने कहा, “प्रस्ताव उनके(किसानों) पास है, उन लोगों की टिप्पणी हमारे पास नहीं आई। मीडिया के माध्यम से पता चलता है कि उन्होंने प्रस्ताव को खारिज कर दिया। अभी उनकी तरफ से बातचीत का कोई प्रस्ताव नहीं आया है, जैसे ही प्रस्ताव आएगा हम बातचीत के लिए तैयार हैं।”
कृषि मंत्री ने कहा, “मैं किसान यूनियन के लोगों को कहना चाहता हूं कि उन्हें गतिरोध तोड़ना चाहिए। सरकार ने आगे बढ़कर प्रस्ताव दिया है, सरकार ने उनकी मांगों का समाधान करने के लिए प्रस्ताव भेजा है।”
नरेंद्र सिंह तौमर ने कहा, “किसी भी कानून में प्रावधान पर आपत्ति होती है, प्रावधान पर ही चर्चा होती है। प्रस्ताव में हमने उनकी आपत्तियों का निराकरण करने की कोशिश की है। उन्हें आंदोलन समाप्त करके वार्ता का रास्ता अपनाना चाहिए।