कृषि कानूनों के रद्द होने तक जारी रहेगा किसान आंदोलन, सिंघु बॉर्डर पर बढ़ी किसानो की तादाद
नई दिल्ली। किसान संगठनों और सरकार के बीच कोई सहमति न बन पाने के बाद किसान आंदोलन में और तेजी आने की संभावना है। किसानो का कहना है कि उन्हें कृषि कानूनों को रद्द करने से कम कुछ भी स्वीकार नहीं है। जब तक कृषि कानूनों को रद्द नहीं किया जाएगा तब तक किसान आंदोलन जारी रहेगा।
वहीँ दिल्ली से सटे पड़ौसी राज्यों उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा की सीमाओं पर किसानो की तादाद लगातार बढ़ रही है। किसान आंदोलन के 15वे दिन भी सिंघु बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर पर किसानो का विरोध प्रदर्शन जारी है। एक किसान ने बताया,”सरकार अभी भी लोगों की बात सुनने के लिए तैयार नहीं है। लोगों के ऊपर क्या प्रभाव पड़ रहा, क्या दिक्कत आ रही उस पर सरकार थोड़ा भी ध्यान नहीं दे रही है। सरकार जानबूझकर अड़ी हुई है।”
किसान नेता मंजीत सिंह ने बताया कि सिंघु बॉर्डर पर किसान प्रदर्शनकारी डटे हुए हैं। “सरकार की मंशा ठीक नहीं है। सरकार चाहती है यह आंदोलन लंबा चले और कमजोर पड़ जाए। सरकार गलतफहमी में है। हमारा आंदोलन बढ़ रहा है। यहां से 5,000 लोग जाते हैं लेकिन 20,000 लोग आते भी हैं। सरकार पर दबाव बढ़ रहा है।”
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि “जो प्रस्ताव आया है उसमें बिल वापसी की बात नहीं है। सरकार संशोधन चाहती है। संशोधन के लिए किसान तैयार नहीं है। हम चाहते है पूरा बिल वापस हो। बिल वापसी के अलावा कोई रास्ता निकलता नज़र नहीं आ रहा है। सरकार तीन कृषि बिल लाई है उसी तरह से MSP को लेकर भी बिल लाए।”
पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता शाहनवाज़ हुसैन ने कहा कि सरकार किसानों को मज़बूत करने के लिए बिल लाई है न कि कमज़ोर करने के लिए। मोदी जी के PM रहते किसानों के साथ कोई अन्याय नहीं कर सकता। दुर्भाग्यपूर्ण है कि विपक्ष किसानों के कंधे को अपनी वैशाखी बनाना चाहता है। कांग्रेस और अन्य दलों को ऐसी ओछी हरकत नहीं करनी चाहिए।
वहीँ किसान आंदोलन के पीछे चीन और पाकिस्तान की साजिश के केंद्रीय मंत्री के आरोप पर शिवसेना ने सरकार पर निशाना साधा है। शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि अगर केंद्रीय के एक मंत्री ये जानकारी देते है कि ये जो किसान आंदोलन चल रहा इसके पीछे चीन और पाकिस्तान का हाथ है, तो रक्षा मंत्री को तुरंत चीन और पाक पर सर्जिकल स्ट्राइक करना चाहिए और राष्ट्रपति, रक्षा मंत्री,PM, HM को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।