7 जुलाई 2020 को शोपियां में हुई मुठभेड़ थी फ़र्ज़ी, 20 लाख के इनाम के लिए तीन निर्दोषो की हत्या

7 जुलाई 2020 को शोपियां में हुई मुठभेड़ थी फ़र्ज़ी, 20 लाख के इनाम के लिए तीन निर्दोषो की हत्या

नई दिल्ली। 7 जुलाई 2020 को कश्मीर के शोपियां में हुई मुठभेड़ फ़र्ज़ी थी। अब इस बात की पुष्टि हो गई है। इस मुठभेड़ में तीन युवको को मौत के घाट उतार दिया गया था। इस बात का खुलासा पुलिस द्वारा दायर किये गए आरोप पत्र में हुआ है।

आरोपपत्र के अनुसार सेना के एक कैप्टेन ने 20 लाख रुपये के इनाम के लालच में दो स्थानीय लोगों के साथ मिलकर मुठभेड़ की साजिश रची। सेना के कैप्टन ने सैनिकों द्वारा क्षेत्र की घेराबंदी किए जाने से पहले ही पीड़ितों पर गोली चला दी थी।

गोली लगने से तीन युवको इम्तियाज अहमद, अबरार अहमद और मोहम्मद इबरार की मौके पर ही मौत हो गई थी। वहीँ तीन निर्दोष युवको की मौत के बाद लोगों का गुस्सा फूट पड़ा था। स्थानीय लोगों का कहना था कि उक्त युवको का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था और न ही आतंकवाद से कोई रिश्ता। इसके बाद इस मुठभेड़ को लेकर सेना ने ‘कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी’ का आदेश दिया था।

सितंबर में आई सेना की जांच रिपोर्ट में पाया गया कि सैनिकों ने सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (अफ्सपा) के तहत मिली शक्तियों का उल्लंघन किया था। इस मामले में मुख्य दोषी पाए गए कैप्टन भूपिंदर सिंह को सेना ने अपनी हिरासत में ले लिया है।

आरोपपत्र में सेना के चार जवानों – सूबेदार गारू राम, लांस नायक रवि कुमार, सिपाही अश्विनी कुमार और योगेश के भी बयान हैं जो घटना के समय कैप्टन सिंह की टीम का हिस्सा थे। आरोपपत्र के अनुसार उन्होंने कहा कि दोनों नागरिकों के साथ वे सभी सेना के शिविर से एकसाथ निकले थे क्योंकि इस बात के विश्वसनीय इनपुट थे कि आतंकवादियों से सामना हो सकता है।

आरोपपत्र के अनुसार मौके पर पहुंचने पर उन चारों को अलग-अलग दिशाओं से घेराबंदी करने को कहा गया. आरोपपत्र में चारों के बयानों के हवाले से कहा गया, वे वाहन से उतरने के बाद जब पैदल ही मौके पर पहुंच रहे थे, उन्होंने घेराबंदी करने से पहले ही कुछ गोलियों के चलने की आवाज सुनी।

इसके अनुसार बाद में कैप्टन सिंह ने उन्हें बताया कि उन्हें गोली चलानी पड़ा क्योंकि छिपे हुए आतंकवादी भागने की कोशिश कर रहे थे। आरोपपत्र में कहा गया है, कैप्टन सिंह और दो अन्य नागरिकों ने मुठभेड़ का नाटक रच कर वास्तविक अपराध के सबूतों को नष्ट कर दिया, जो उन्होंने किया था। साथ ही वे 20 लाख रुपये की पुरस्कार राशि हड़पने के लिए रची गई आपराधिक साजिश के तहत गलत जानकारी पेश कर रहे थे।

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