पढ़िए: राहुल गांधी की उधोगपति राजीव बजाज से पूरी बातचीत

पढ़िए: राहुल गांधी की उधोगपति राजीव बजाज से पूरी बातचीत

नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी कोरोना संक्रमण और देश की अर्थव्यवस्था को लेकर अभी तक कई एक्सपर्ट के साथ चर्चा कर चुके हैं। इसी कड़ी में उन्होंन आज बजाज ऑटो के मैनेजिंग डायरेक्टर राजीव बजाज से बात की।

बातचीत के दौरान राहुल गांधी ने राजीव बजाज से पूछा कि किसी ने नहीं सोचा था कि पूरी दुनिया में लॉकडाउन हो जाएगा, ऐसा विश्व युद्ध के समय पर भी नहीं हुआ था। इस पर राजीव बजाज ने कहा कि भारत में बेहद कठोर लॉकडाउन लगाया गया है। ऐसा कहीं पर भी नहीं हुआ। हमारे यहां के विपरीत कई देशों में बाहर निकलने की अनुमति थी।

राहुल गांधी ने कहा कि मेरा मुख्य रूप से यह मानना है कि जब आपके टॉप-डाउन की स्थिति होती है, तो वहां सहानुभूति नहीं होती है.. फिर आप मूल रूप से लोगों के लड़ने का आत्मविश्वास तोड़ देते हैं। मुझे नहीं पता कि आप इसके बारे में क्या सोचते हैं?

इस पर राजीव बजाज ने कहा कि किसी ने अगर मास्क नहीं पहना या सुबह की सैर के लिए कोई बाहर निकला, आप उन्हें डंडे मारते हैं, उन्हें अपमानित करते हैं। आपने उन्हें देशद्रोही, गधा बता दिया। जिस तरह से हम अपने ही लोगों के साथ व्यवहार कर रहे हैं, उसकी तुलना में हम कहाँ हैं?

हम प्रोत्साहन के बारे में बात भी नहीं कर रहे:

उन्होंने कहा कि हम जापान, अमरीका के लोगों को 1000 डॉलर प्रति व्यक्ति देने की बातें सुनते हैं। हम यहां प्रोत्साहन के बारे में बात भी नहीं कर रहे हैं। हम सिर्फ समर्थन की बात कर रहे हैं, चाहे वह बड़े व्यवसायों, छोटे व्यवसाय और व्यक्तियों के लिए हो।

राजीव बजाज ने कहा कि मुझे बताया गया कि दुनिया में कई जगहों पर सरकार ने जो दो तिहाई काम दिए हैं, वे प्रत्यक्ष लाभ के रूप में संगठनों और लोगों के पास गए हैं। जबकि भारत में यह केवल 10% है। आप ज्यादा बेहतर बता सकते हैं कि हमने लोगों को सीधा सहयोग क्यों नहीं दिया?

राहुल गांधी ने कहा कि मुझे जो प्रतिक्रिया मिली, वो कुछ बिंदु थे
पहला- चीन के संदर्भ में भारत के लिए बहुत बड़ा अवसर है।
दूसरा -अगर हम मजदूरों की सहायता करते हैं, तो उनकी आदत खराब हो जाएगी और वे अपने गांवों से वापस नहीं आएंगे।
तीसरा- इससे हमारे यहाँ निवेश करने वाले अंतरराष्ट्रीय समुदाय में गलत संदेश जाएगा।
चौथा- बाद में हम इन मजदूरों और छोटे उद्योगों को पैसा देने पर विचार कर सकते हैं।

अर्थव्यवस्था का बचाव ज़रूरी:

राहुल ने कहा कि आपकी छवि आपकी मजबूती पर निर्भर होती है, आपकी मजबूती आपकी छवि पर नहीं। लेकिन यहाँ आप छवि बचा रहे हैं और मजबूती को नष्ट कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि आपके यहाँ निवेश आपकी छवि के कारण नहीं, बल्कि इस बात के लिए है कि आप क्या हैं और आपके पास क्या है और वो अर्थव्यवस्था है इसलिए पहला तर्क होना चाहिए, उस अर्थव्यवस्था की रक्षा करना।

राहुल गांधी ने कहा कि यदि आप उस अर्थव्यवस्था का अच्छी तरह से बचाव करते हैं, तो आपके पास एक छवि होगी और आप जिसे भी आप निवेश के लिए बुलाना चाहेंगे, वो आएँगे। यदि आपके पास अर्थव्यवस्था नहीं बची है, तो कुछ भी नहीं बचा है।

राजीव बजाज ने कहा कि भारत जैसा बड़ा देश खुद को मुसीबत से नहीं बचा सकता। उसको मुसीबत से निकलना पड़ता है। हमें मांग पैदा करनी होगी, लोगों का मनोबल बढ़ाने आवश्यकता है। कोई मजबूत पहल क्यों नहीं की गई , भले ही यह मांग को एक प्रोत्साहन प्रदान करना हो।

राहुल गांधी ने चर्चा के दौरान कहा कि कोरोनावायरस से पहले अर्थव्यवस्था धीमी हो गई, बेरोजगारी एक गंभीर समस्या बन रही थी। अब कोरोना ने इसे एकदम किनारे पर धकेल दिया। आपके हिसाब से भारत बेरोजगारी की समस्या से कैसे निपटे? हम इसे आगे बढ़ाने के बारे में कैसे सोच सकते हैं।

लघु और मध्यम उद्योग इसका एक बहुत बड़ा हिस्सा हैं:

राहुल ने कहा कि लघु और मध्यम उद्योग इसका एक बहुत बड़ा हिस्सा हैं। हम उत्पादन को कैसे प्रोत्साहित करेंगे। मैं उन लोगों में से नहीं हूं, जो यह सोचते हैं कि भारत का निर्माण बिना उत्पादन बढ़ाए मुमकिन है। तो हम वैश्विक मंच पर प्रतिस्पर्धा कैसे शुरू करें?

राहुल गांधी ने कहा कि आपके द्वारा कही गई बातों में, मुझे एक बात बहुत दिलचस्प लगी। आपने कहा कि जापानी तकनीक, यूरोपीय स्टाइल और भारतीय कीमतें। आप मूल रूप से कह रहे हैं कि भारत एक पुल है। भारत विभिन्न संस्कृतियों और प्रणालियों को जोड़ने वाला पुल है।

हमारे पास वो क्षमता है जो कई देशो के पास नहीं:

उन्होंने कहा कि जब भी हम सफल हुए हैं, तो हमने हमेशा एक पुल के रूप में काम किया है। चाहे वह हमारी विदेश नीति हो या व्यापार प्रणाली हो या हमारी फिलॉसोफी हो। हमारे पास वह क्षमता है, जो कई देशों या सभ्यताओं के पास नहीं है।

इस पर राजीव बजाज ने कहा कि लोगों और देश के रूप में हममें खुलापन है, यह कभी-कभी हमारे खिलाफ काम कर सकता है। यह खुलापन, कभी नहीं खोना चाहिए। जैसा कि आप कह रहे थे, यह बहुत महत्वपूर्ण है चाहे वह सरकार के संदर्भ में हो या व्यवसाय के संदर्भ में।

इस पर राहुल गांधी ने कहा कि आपने खुलेपन की बात कही। सही बात है, हममें खुलापन है, हमारी सभ्यता में खुलापन है, क्योंकि हमारे देश में परंपरागत रूप से एक निश्चित सहिष्णुता रही है। मेरा मतलब है, जो कहना है, कह दो। किसी को लगता है कि पिछले कुछ वर्षों में काफी कम हो गया है।

राहुल ने कहा कि कल, मेरे एक मित्र ने मुझसे पूछा कि आपका अगला संवाद किसके साथ है? और मैंने उसे बताया कि मैं मिस्टर बजाज से बात कर रहा हूं और उस आदमी ने कहा “दम है बंदे में”। तो मैंने कहा, क्या मतलब? और उसने कहा ”अच्छा है, उनमें आपसे बात करने की हिम्मत है?

राहुल से बात न करने की सलाह दी:

इस पर राजीव बजाज ने कहा कि मैंने जब किसी को बताया कि मैं राहुल से बात करने जा रहा हूँ। उसकी पहली प्रतिक्रिया थी, मत करो। इससे आपको परेशानी हो सकती है। उन्होंने कहा, मीडिया में बोलना अलग बात है, लेकिन राहुल गांधी से बातें करना दूसरी बात है।

राजीव बजाज ने कहा कि अगर हिंदुस्तान में 100 लोग बोलने से डरते हैं, तो 90 के पास छिपाने के लिए कुछ है। पिछले कुछ वर्षों में, मैं कहूंगा कि यूपीए 2 और एनडीए 1 में बहुत सारे कंकाल अलमारी से बाहर आ चुके हैं। इसलिए व्यवसायी भी दूध का धुला नहीं है।

सहिष्णु और संवेदनशील होने के मामले में कुछ सुधार की ज़रूरत:

उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि सहिष्णु होने के मामले में, संवेदनशील होने के संदर्भ में, भारत को कुछ चीजों को सुधारने की जरूरत है। मुझे लगता है कि पहली समस्या लोगों के दिमाग से इस डर को बाहर निकालना है। इसके बारे में स्पष्ट बात होनी चाहिए। मैं इसके लिए पीएम से कहूंगा क्योंकि, सही या गलत, जब भी वो कुछ कहते हैं, ऐसा प्रतीत होता है कि लोग उनका अनुसरण करते हैं।

राजीव बजाज ने कहा कि मुझे लगता है कि उनको सामने आकर सभी को यह कहने की ज़रूरत है कि हम कैसे आगे बढ़ने वाले हैं, सब नियंत्रण में है, संक्रमण से डरो मत, आप जानते हैं लगभग कोई नहीं मर रहा है और हमें अब आगे बढ़ना होगा।

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TeamDigital