रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर के बाद पूर्व डिप्टी गवर्नर ने किताब में खोली मोदी सरकार की पोल
नई दिल्ली। रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल द्वारा अपनी किताब में मोदी सरकार से पटरी न बैठ पाने की वजह का खुलासा किये जाने के बाद अब पूर्व डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने भी अपनी किताब में मोदी सरकार को लेकर कई खुलासे किये हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार रिजर्व बैंक की स्वायत्तता को लगातार कमजोर करने की कोशिश कर रही थी, इसीलिए उर्जित पटेल को समय से पहले पद छोड़ना पड़ा।
‘क्वेस्ट फॉर रीस्टोरिंग फाइनेंशियल स्टेबिलिटी इन इंडिया’ नामक किताब में रिज़र्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने लिखा कि जनवरी 2017 से जुलाई 2019 में उनके डिप्टी गवर्नर रहने के दौरान कई नीतियों की वजह से देश का आर्थिक वातावरण पीछे ढकेलने वाला बन गया।
विरल आचार्य ने अपनी किताब में लिखा है, ‘केंद्र सरकार ने इस नियामक की स्वायत्तता में अतिक्रमण कर रही थी, विवेकपूर्ण कदमों को भी पीछे करवा रही थी और अतार्किक मांगें रख रही थी। इसकी वजह से उर्जित पटेल को साल 2018 में इस्तीफा देना पड़ा।
गौरतलब है कि विरल आचार्य साल 2017 शुरुआत में रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर बने थे और उन्होंने 2019 में अपना कार्यकाल पूरा होने से छह महीने पहले ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
वहीँ विरल आचार्य की किताब से कुछ दिन पहले ही 24 जुलाई को रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल की किताब ओवरड्राफ्ट-सेविंग द इंडियन सेवर (Overdraft- saving the Indian Saver) लांच की गई थी। इस किताब में उर्जित पटेल ने समय से पहले अपना पद छोड़ने की वजह का उल्लेख किया है। इसके अलावा उन्होंने मोदी सरकार को लेकर कई खुलासे भी किये हैं।
उर्जित पटेल ने किताब में लिखा है कि “रिजर्व बैंक पर इस बात के लिए ‘काफी दबाव’ डाला जा रहा था कि अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए ‘नकदी और कर्ज’ का मुहाना खोल दे, साथ ही एनपीए वाले कर्जदारों पर रिजर्व बैंक की सख्ती को भी ‘रोक दिया गया।”
नोटबंदी और बैंक घोटालो को लेकर विपक्ष मोदी सरकार पर लगातार हमले बोलता रहा है और अब भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल और पूर्व डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य की किताब में किये गए खुलासे के बाद अब यह मामला तूल पकड़ने की संभावना है। किताबो में किये गए खुलासे से विपक्ष को मोदी सरकार के खिलाफ एक साथ कई मुद्दे मिल गए हैं।