आज वापस नहीं लौटे बागी विधायक तो टलेगा फ्लोर टेस्ट, कमलनाथ ने बुलाई बैठक
भोपाल ब्यूरो। मध्य प्रदेश विधानसभा का 16 मार्च से बजट सत्र शुरू होना है लेकिन अभी तक बागी विधायकों पर कोई फैसला नहीं हुआ है। विधानसभा स्पीकर ने सभी 22 बागी विधायकों को नोटिस जारी कर 15 मार्च से पहले व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए कहा है। ऐसे में यदि आज बागी विधायक वापस नहीं लौटते तो विधानसभा में फ्लोर टेस्ट को टाला जा सकता है।
इस बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एक आपात बैठक बुलाई है। इस बैठक में फ्लोर टेस्ट को लेकर रणनीति को अंतिम रूप दिया जा रहा है। सूत्रों की माने तो कोरोना वायरस के प्रभाव को आधार बनाकर सरकार बजट सत्र को आगे बढ़ा सकती है।
चूँकि बागी विधायकों के इस्तीफे अभी स्वीकार नहीं हुए हैं और विधानसभा स्पीकर पहले ही साफ़ कर चुके हैं कि इस्तीफा देने वाले विधायकों के व्यक्तिगत रूप से पेश न होने तक इस्तीफे स्वीकार नहीं किये जाएंगे। इसलिए माना जा रहा है कि यदि बजट सत्र आगे नहीं बढ़ाया गया तब भी फ्लोर टेस्ट की प्रक्रिया नहीं कराई जायेगी।
वहीँ सूत्रों की माने तो इस्तीफा देने वाले 22 विधायकों में से 12 विधायक आज देर रात तक या कल सुबह तक भोपाल लौट सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक ये 12 विधायक पार्टी के साथ बने रहने को तैयार हैं और इस सन्दर्भ में इन विधायकों की मुख्यमंत्री कमलनाथ से बातचीत हो चुकी है।
सूत्रों ने कहा कि कमलनाथ चाहते हैं कि 22 में से 10 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर लिए जाएँ और शेष रहे 12 विधायक पार्टी और सरकार के साथ बने रहें। जिससे फ्लोर टेस्ट की स्थति में सरकार को कोई खतरा पैदा न हो। हालाँकि सूत्रों ने इस बात से भी इंकार नहीं किये कि विधानसभा में कमलनाथ सरकार को बचाने के लिए कुछ बीजेपी विधायक भी सरकार के पक्ष में मतदान कर सकते हैं।
सूत्रों ने कहा कि दो बीजेपी विधायकों के मुख्यमंत्री कमलनाथ से मुलाकात के बाद ही यह साफ़ हो गया था कि कमलनाथ बीजेपी विधायकों में सेंधमारी कर रहे हैं। ऐसे में यदि बीजेपी अपने विधायकों को हरियाणा ले भी गई तो कोई कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है।
सूत्रों की माने तो ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में जाने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह एक्टिव हो गए हैं और कमलनाथ सरकार को बचाने और बागी विधायकों को वापस लाने के काम को उन्होंने प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है। फिलहाल देखना है कि बागी विधायकों को पार्टी से जोड़ने रखने के कांग्रेस के प्रयास कितना खरे साबित होते हैं।