यदि नागरिकता संशोधन विधेयक पारित हुआ तो विपक्ष जा सकता है सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली। कांग्रेस ने नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध करने का एलान किया है। आज यह बिल गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में पेश किया। इस बिल को लेकर आज लोकसभा में तीखी बहस हुई। लोकसभा में इस विधेयक के समर्थन में 293 जबकि विरोध में 82 वोट पड़े।
विपक्ष का आरोप है कि यह बिल देश के अल्पसंख्यको के खिलाफ एक बड़ी साजिश है। इतना ही नहीं विपक्ष ने नागरिकता संशोधन विधेयक को असंवैधानिक और भारत के धर्मनिरपेक्ष स्वरुप के खिलाफ करार दिया है।
नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि यह विधेयक संविधान के आधारभूत ढांचे का उल्लंघन करता है। नागरिकता संशोधन विधेयक पर लोकसभा में चर्चा में भाग लेते हुए मनीष तिवारी ने कहा कि भारत के संविधान में शरण देने के लिए मजहब को आधार नहीं बनाया गया है।
उन्होंने कहा कि कोई भी शरणार्थी वह चाहे जिस मजहब का हो, यदि भारत से शरण (मदद) मांगता है तो बिना उसका मजहब देखे हम उसे शरण दें। मगर इस विधेयक के प्रावधान में यहां विरोधाभास है। मनीष तिवारी ने कहा कि यह विधेयक भारत के संविधान की परंपरा, मूलभूत अवधारणा की अवहेलना करता है।
वहीँ कांग्रेस सूत्रों की माने तो नागरिकता संशोधन विधेयक पास होने की स्थति में पार्टी सुप्रीमकोर्ट का दरवाजा खटखटा सकती है। सूत्रों ने कहा कि रविवार को दस जनपथ हुई कांग्रेस की संसदीय रणनीति ग्रुप की बैठक में नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर पार्टी नेताओं के बीच इस विधेयक के पास होने की स्थति पर कानूनी प्रक्रिया का इस्तेमाल कर इसे चुनौती देने को लेकर भी बातचीत हुई।
सूत्रों ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होने की स्थति में कांग्रेस इस मामले को सुप्रीमकोर्ट ले जा सकती है।लेकिन पार्टी चाहती है कि इस मामले में विपक्ष एकजुट हो और संयुक्त रूप से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाए।
हालाँकि अभी राज्य सभा में भी सरकार की अग्नि परीक्षा होनी है लेकिन एआईएडीएमके, जनता दल यूनाइटेड, शिवसेना और बीजू जनता दल द्वारा इस विधेयक के समर्थन के एलान के बाद सरकार के लिए राज्य सभा में बड़ी दिक्क्त खत्म हो गयी है।
नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर कांग्रेस के अलावा एआईयूडीएफ, एआईएमआईएम, तृणमूल कांग्रेस, मुस्लिम लीग, राष्ट्रीय जनता दल, एनसीपी और समाजवादी पार्टी ने विरोध करने का एलान किया है।