उपचुनाव वाली 16 सीटों पर फूल सिंह बरैया को कांग्रेस देगी बड़ी ज़िम्मेदारी
भोपाल ब्यूरो। मध्य प्रदेश में विधानसभा की 24 सीटों के लिए होने वाले चुनाव को लेकर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी अपनी अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देने में व्यस्त हैं। हालांकि कि इस बीच दोनों पार्टियां अपने अपने मोहरे भी सैट कर रही हैं।
भारतीय जनता पार्टी ने जहां 24 सीटों के लिए अलग अलग घोषणा पत्र बनाने का एलान किया है वहीँ कांग्रेस ने पहले ही इसका तोड़ ढूंढ़ लिया है और पार्टी उपचुनाव में बीजेपी का वो घोषणा पत्र भी जनता के समक्ष रखेगी जो बीजेपी ने 2018 के विधानसभा चुनाव में जारी किया था। इतना ही नहीं कांग्रेस ने तय किया है कि वह जनता की राय लेकर अपना घोषणा पत्र बनाएगी।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक घोषणापत्र बनाने के लिए हर विधानसभा क्षेत्र के लोगों की राय ली जाएगा। पार्टी के कार्यकर्त्ता अपनी अपनी विधानसभाओं में लोगों से रायशुमारी करेंगे।
वहीँ दूसरी तरफ राज्य सभा चुनाव में उम्मीदवार रहे फूल सिंह बरैया को पार्टी उपचुनाव की उन सीटों पर पार्टी के चेहरे के रूप में पेश करेगी जो अनुसूचित जाति के मतदाताओं बाहुल्य वाली हैं।
गौरतलब है कि उपचुनाव वाली 24 सीटों में से करीब 15 सीटें ऐसी हैं जिन पर अनुसूचित जाति के मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। यदि इन सीटों पर कांग्रेस पिछले चुनाव की तरह मुस्लिम-जाटव क़ॉम्बीनेशन बनाने में सफल रहती है तो चुनाव में उसे बड़ा लाभ मिलना तय माना जा रहा है।
जिन सीटों पर उपचुनाव होने हैं उनके मुरैना जिले की पांच सीटों पर सवा दो लाख से अधिक जाटव मतदाता हैं, वहीँ भिंड में दो सीटों पर करीब एक लाख, ग्वालियर की तीन सीटों पर डेढ़ लाख से ज्यादा, दतिया में दो सीटों पर लगभग एक लाख, शिवपुरी की पोहरी सीट पर करीब 45 हजार तो अशोक नगर की दो सीटों पर लगभग 75 हजार और गुना की बमोरी सीट पर लगभग 30 हजार वोट बताए जाते हैं। वहीँ इन सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं की तादाद 3 से 5 फीसदी तक बताई गई है।
अहम कारण है कि जाटव और मुस्लिम समुदाय के मतदान का प्रतिशत हमेशा 80 फीसदी से अधिक रहता है। ऐसे में यदि कांग्रेस ये मानकर चल रही है कि यदि वह किसी तरह जाटव मतदाताओं का अन्य जातियों के साथ कॉंबिनेशन बनाने में सफल रहती है तो एक बल्क वोट उसकी झोली में आ जायेगा और उसे जीतने के लिए अधिक ताकत नहीं लगानी पड़ेगी।
पार्टी सूत्रों ने कहा कि कम से कम दस से बारह सीटों पर फूल सिंह बरैया का अच्छा प्रभाव है। करीब दो दशक पहले फूल सिंह बरैया बहुजन समाज पार्टी के लिए इन इलाको में नेटवर्किंग कर चुके हैं। इसलिए अनुसूचित जाति के मठाधीशो पर उनकी अच्छी पकड़ है।
सूत्रों ने कहा कि पार्टी 2018 के विधानसभा चुनाव में मिले वोटों का बूथवार आंकलन कर रही है और पार्टी की एक टीम बूथ डेटा को खंगाल रही है जिससे रणनीति बनाने में कोई चूक न हो।
सूत्रों ने कहा कि उपचुनाव की 24 सीटों में से ग्वालियर-चंबल इलाके की 16 सीटें साधना पार्टी की पहली प्राथमिकता है। सूत्रों ने कहा कि उपचुनाव में बीजेपी ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव वाली सभी 16 सीटों पर कांग्रेस के नेता अधिक से अधिक पसीना बहाते दिखेंगे। इन 16 सीटों पर अनुसूचित जाति के करीब दस लाख से अधिक बताई जाती है।
फिलहाल देखना है कि कांग्रेस फूल सिंह बरैया को उपचुनाव में ट्रंप कार्ड की तरह इस्तेमाल कर पाती है अथवा नहीं। हालांकि पार्टी ने अनुसूचित जाति के एक और बसपा नेता प्रागीलाल जाटव और ब्राह्मण मतदाताओं में सेंध लगाने के लिए पहले ही सिंधिया परिवार के करीबी रहे बालेंदु शुक्ला को कांग्रेस में लाकर अपने इरादे पहले ही ज़ाहिर कर दिए हैं और अब पूर्व मुख्यमंत्री के पुत्र दीपक जोशी सहित कुछ अन्य ब्राह्मण चेहरों को कांग्रेस में लाने के लिए पूर्व सीएम कमलनाथ और दिग्विजय सिंह मंथन कर रहे हैं।