कांग्रेस ने चीन के प्रति पीएम मोदी के नरम रुख के दिए सबूत, उठाये कई सवाल

कांग्रेस ने चीन के प्रति पीएम मोदी के नरम रुख के दिए सबूत, उठाये कई सवाल

नई दिल्ली। चीन के सीमा विवाद को लेकर तनाव से अलग पीएम नरेंद्र मोदी के चीन के प्रति नरम रुख को लेकर कांग्रेस ने कई सवाल उठाये हैं। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कई तथ्य मीडिया के समक्ष रखते हुए एक बार फिर पीएम मोदी पर सवाल दागे हैं।

पवन खेड़ा ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित वर्चुअल प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि लगभग तीन महीनों से हम लगातार लद्दाख में भारतीय सीमा पर हो रही चीनी घुसपैठ की खबरें उपग्रह तस्वीरों, सेवानिवृत सैन्य अधिकारियों, रक्षा विशेषज्ञों और स्थानीय नागरिकों के माध्यम से सुन रहे हैं।

उन्होंने कहा कि, “एक तरफ तो प्रधानमंत्री जी चीन को क्लीन चिट दे देते हैं और कहते हैं कि कोई हमारी सीमा में घुसा ही नहीं और दूसरी तरफ रक्षा मंत्री और उत्तरी कमान के आला अधिकारी कुछ और ही स्थिति बयान कर रहे हैं।”

पवन खेड़ा ने कहा कि, “मीडिया के माध्यम से यह भी जानकारी मिली है कि कैबिनेट के मंत्रियों पर चीन के विरुद्ध बोलने पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने पाबंदी लगा दी है। पिछले कुछ सप्ताहों में मैंने और मेरे अनेक वरिष्ठ सहयोगियों ने प्रधानमंत्री जी का चीन के प्रति लगाव के कई उदाहरण आपके सामने रखे हैं। ये उदाहरण उनके मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री रहने के दौरान के हैं।”

उन्होंने कहा कि, “एक और उदाहरण यह भी है कि कैसे गुजरात में चीन की कंपनियों को प्राथमिकता उस वक़्त भी दी जा रही थी और अब भी दी जा रही है। कैसे पीएम केयर फ़ंड में चीन की कंपनियों का पैसा आया और उस पैसे का कोई हिसाब-किताब सार्वजनिक पटल पर नहीं रखा जा रहा है। यह भी एक अलग ही विषय है।”

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि, “यह भी हमने आपके सामने रखा है कि कैसे अकेले गुजरात में स्मार्ट सिटी इंडस्ट्रियल पार्क, टेक्स्टटाइल पार्क आदि के तहत चीन के साथ 43 हज़ार करोड़ रुपये के करारनामे हुए हैं।”

उन्होंने गुजरात का मामला सामने रखते हुए कहा कि, “जब नरेंद्र मोदी जी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तो 2011 में मोदी जी ने गुजरात के स्कूलों में मंदारिन भाषा लाने की भी घोषणा कर दी थी, उस घोषणा का क्या हुआ, यह नहीं मालूम। लेकिन घोषणा जरूर की गयी थी।”

पवन खेड़ा ने चीन सरकार का मुखपत्र कहे जाने वाले ग्लोबल टाइम्स में प्रकाशित रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि, “2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने लिखा कि चीनी कंपनियाँ चाहती हैं कि गुजरात में एक बार फिर नरेंद्र मोदी की पार्टी की ही जीत हो। अगर गुजरात में मोदी को बड़ी जीत मिलती है, तो यह चीनी कंपनियों के लिए फायदेमंद हो सकता है।”

उन्होंने कहा कि जब दो देशों में जो संबंध होते हैं, उसमें कूटनीति के साथ-साथ व्यापार का भी योगदान होता है। लेकिन दो देशों के जो व्यापारिक रिश्ते होते हैं ,उन रिश्तों में कोई भी देश अपने सामरिक हितों को ताक पर रख कर तो व्यापार नहीं करता।

पवन खेड़ा ने कहा कि, “जब चीन की एक कंपनी को जम्मू कश्मीर जैसे संवेदनशील राज्य में एक संवेदनशील काम जो पिछले दरवाजे से आने दिया जाता है और उसको वो काम मिल जाता है। तो यह बहुत गंभीर चिंता का विषय बन जाता है।”

उन्होंने चीन की एक कंपनी का उदाहरण सामने रखते हुए कहा कि, “डोंगफांग (Dongfang) नामक यह कंपनी विश्व के अनेक देशों में सक्रिय है। पाकिस्तान के साथ इसका विशेष संबंध है। यह न केवल चीन की सरकार और सेना के सीधे नियंत्रण में है, बल्कि विश्व बैंक ने पिछले वर्ष इस पर भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते पाबंदी भी लगाई थी।”

कांग्रेस प्रवक्ता ने सवाल किया कि, “हम प्रधानमंत्री से यह जानना चाहते हैं कि सीमावर्ती राज्यों में ऊर्जा जैसे सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्र में चीन की एक विवादास्पद कंपनी को क्यों आने दिया जा रहा है? एक तरफ तो चीन से संबंधित Apps पर पाबंदी लगाई जा रही है, वहीं दूसरी ओर चीन की कंपनी के हाथों में जम्मू कश्मीर के नागरिकों का महत्वूपर्ण डेटा क्यों सुपर्द किया जा रहा है?”

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