रमज़ान में निजामुद्दीन मरकज खोलने के लिए केंद्र ने लगाई अजीब शर्त

रमज़ान में निजामुद्दीन मरकज खोलने के लिए केंद्र ने लगाई अजीब शर्त

नई दिल्ली। पिछले वर्ष 31 मार्च से बंद पड़े दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज को खोलने की मांग वाली याचिका सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने अपने जबाव में अजीब शर्त लगाई है। केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट को अपने जबाव में कहा कि आने वाले त्यौहारी मौसम (रमज़ान) में निजामुद्दीन मरकज में वक्फ बोर्ड द्वारा चुने गए 50 लोगों को नमाज अदा करने की अनुमति दी जा सकती है बशर्ते कि वे नमाज़ अदा करने वाले लोगों के नाम क्षेत्र के एसएचओ को प्रदान करें।

न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता के समक्ष केंद्र की ओर से पेश अधिवक्ता रजत नायर ने अदालत को बताया कि दिल्ली वक्फ बोर्ड को क्षेत्र के पुलिस थाने के प्रभारी अधिकारी (एसएचओ) को 50 नामों से युक्त एक आवेदन देना होगा और उसके बाद ही केवल उन लोगों को नमाज अदा करने के लिए मस्जिद में प्रवेश करने की अनुमति दी जाएगी।

केंद्र की ओर से यह बात तक कही गई जब वक्फ बोर्ड की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश गुप्ता और वकील वजीह शफीक ने अदालत से आग्रह किया कि सप्ताहांत में ‘शब-ए-बारात’ के दौरान मस्जिद में कुछ लोगों को नमाज अदा करने की अनुमति दी जाए।

उन्होंने अदालत से कहा कि फ़िलहाल केवल नमाज़ अदा करने के लिए मस्जिद का उपयोग किया जाएगा, वहां स्थित मदरसे का नहीं। गुप्ता ने अदालत से यह भी आग्रह किया कि 13 अप्रैल से शुरू होने वाले रमजान के पवित्र महीने से पहले इस मामले में फैसला किया जाए क्योंकि उस दौरान और ज्यादा लोग मस्जिद में नमाज अदा करना चाहेंगे। इसके बाद, अदालत ने इस मामले को 12 अप्रैल को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।

बोर्ड ने अपनी दलील में कहा है कि अनलॉक -1 दिशानिर्देशों के बाद भी निषिद्ध क्षेत्र के बाहर स्थित धार्मिक स्थलों को खोलने की अनुमति दी गई जबकि मरकज अभी भी बंद हैं जिसमें मस्जिद बंगले वाली, मदरसा काशिफ-उल-उलूम और छात्रावास शामिल है।

गौरतलब है कि कोरोना लॉकडाउन के दौरान मरकज में आयोजित तबलीगी जमात कार्यक्रम और विदेशियों के ठहरने के संबंध में महामारी रोग अधिनियम, आपदा प्रबंधन अधिनियम, विदेश अधिनियम और दंड संहिता के विभिन्न प्रावधानों के तहत एक प्राथमिकी दर्ज है। मरकज को पिछले वर्ष 31 मार्च को सील कर दिया गया था।

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TeamDigital