कांग्रेस शासित राज्यों और पश्चिम बंगाल में लागू नहीं होगा नागरिकता संशोधन विधेयक
नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर कई राज्यों की सरकारें एक्टिव हो गई हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह द्वारा पंजाब में नागरिकता संशोधन विधेयक लागू न करने के एलान के बाद अब मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों ने अपने राज्यों में इस विधेयक को लागू न करने की बात कही है।
पंजाब, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नागरिकता संशोधन विधेयक अपने राज्यों में लागू करने से साफ़ इंकार कर दिया है।
दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने कहा है कि वे इस बिल को लेकर उनकी पार्टी के रुख का समर्थन करते हैं। इस तरह अब तक छह राज्यों के सीएम इसे अपने राज्य में नहीं लागू करने की बात कह चुके हैं।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने नागरिकता कानून पर कहा था, ”कोई भी ऐसा कानून जो समाज को बांटता है। उस पर कांग्रेस का जो रुख होगा वही रुख मध्यप्रदेश सरकार अपनाएगी।”
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर हमारा रुख कांग्रेस पार्टी द्वारा लिए गए रुख से बिल्कुल भी अलग नहीं है। हमारा रुख भी उनके जैसा ही है। हम इस बिल का विरोध करते हैं, क्योंकि यह असंवैधानिक है।
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा, “केरल में इस तरह के असंवैधानिक कानून के लिए कोई जगह नहीं है। राज्य में इस तरह का कानून लागू नहीं किया जाएगा। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा कि सिटीजन बिल संविधान में निहित धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के खिलाफ है। उनकी सरकार इस कानून को अपने राज्य में लागू नहीं होने देगी।
वहीँ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले ही एलान कर चुकी हैं कि पश्चिम बंगाल में न तो नागरिकता संशोधन विधेयक लागू किया जाएगा और न ही एनआरसी। अभी हाल ही में ममता बनर्जी ने कहा था कि पश्चिम बंगाल के लोगों को भयभीत होने की ज़रूरत नहीं है वह किसी भी हाल में नागरिकता संशोधन विधेयक या एनआरसी पश्चिम बंगाल में लागू नहीं होने देंगी।
वहीँ एक मीडिया रिपोर्ट में गृह मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी के हवाले से दावा किया गया है कि “राज्यों के पास संघ सूची में केंद्रीय कानून के अमल से इनकार करने की कोई शक्तियां नहीं हैं।” हालाँकि अभी तक आधिकारिक तौर पर सरकार की तरफ से कोई ऐसा बयान नहीं आया, जिससे तय हो सके कि नागरिकता संशोधन कानून रोकने का अधिकार राज्य सरकारों के पास है अथवा नहीं।