Breaking: J&K में सरकार बनने की संभावनाओं पर पानी फिरा, राज्यपाल ने की विधानसभा भंग
नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर में पीडीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस द्वारा मिलकर सरकार बनाने के प्रयासों पर उस समय पानी फिर गया जब राज्यपाल ने जम्मू कश्मीर विधानसभा को भंग कर दी।
राज्यपाल द्वारा जम्मू कश्मीर विधानसभा भंग किये जाने के बाद राज्य में नई सरकार बनने के सभी संभावनाएं समाप्त हो गयी हैं। अब राज्य में विधानसभा चुनावो के बाद ही नई सरकार बन सकती है।
इससे पहले राज्य में नई सरकार के गठन के लिए पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस के बीच दिन भर बैठकों का सिलसिला जारी रहा और मुख्यमंत्री पद के लिए पीडीपी से अल्ताफ बुखारी का नाम आगे बढ़ाया गया।
अल्ताफ बुखारी ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला से भी मुलाकात की थी। कांग्रेस इस मामले में पहले ही अपनी सहमति दे चुकी थी। इसलिए शाम होने से पहले माना जा रहा था कि अब राज्य में नई सरकार के गठन का रास्ता बन रहा है।
पीडीपी नेता महबूबा मुफ़्ती ने सरकार बनाने के लिए राज्यपाल से मिलकर दावा करने जा रही थीं। लेकिन राज्यपाल सतपाल मलिक ने नई सरकार के लिए औपचारिक शुरुआत होने से पहले ही विधानसभा भंग करने का एलान कर नई सरकार बनने की सभी कोशिशों को विराम लगा दिया।
गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर में राज्य विधानसभा में 87 सीटें हैं, इनमे जम्मू क्षेत्र में 37, कश्मीर में 46 और लद्दाख क्षेत्र की 4 विधानसभा सीटें शामिल हैं।राज्य में विधानसभा का अंकगणित देखा जाए तो पीडीपी के पास 28 विधायक हैं जबकि नेशनल कांफ्रेंस के पास 15 और कांग्रेस के 12 विधायक हैं। तीनों पार्टियों के पास कुल मिलाकर 55 विधायक हैं जब कि बहुमत के 44 विधायकों की आवश्यकता है।
वहीँ पीडीपी नेता अल्ताफ बुखारी ने कहा है कि इस महागठबंधन को 60 विधायकों का समर्थन हासिल है। उन्होंने कहा कि पीडीपी विधायकों की अलग से बैठक नहीं बुलाई गई है। तीनों दलों के नेताओं के बीच बातचीत हुई है।
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि अभी पार्टियों में बात भी नहीं हुई थी और विधायकों की बैठक बुलाई गई थी लेकिन बीजेपी नहीं चाहती जम्मू कश्मीर में कोई सरकार बने।
आजाद ने कहा कि बीजेपी का तानाशाही रवैया फिर सामने आया है। अफवाहों से बीजेपी डर गई और विधानसभा भंग कर दी गई. आजाद ने कहा कि हम प्रदेश में चुनाव चाहते हैं।
वहीँ पीडीपी नेता महबूबा मुफ़्ती ने राज्यपाल द्वारा विधानसभा भंग किये जाने पर निराशा जताई है। उन्होंने कहा कि विधानसभा भंग करने से पहले राज्यपाल को स्थति का आंकलन करना चाहिए था।
वहीँ नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने ट्विटर पर अपनी प्रतिक्रिया में लिखा कि ‘इसे संयोग नहीं मान सकते कि इधर महबूबा मुफ्ती सरकार बनाने का दावा पेश करने जा रही थीं और उधर राज्यपाल ने विधानसभा भंग कर दी।’