पुस्तक समीक्षा: बच्चों के लिए भारत का संविधान : सुभद्रा सेन गुप्ता
ब्यूरो(उपासना बेहार)। वर्तमान समय में संविधान और उसके महत्व को समझना सबसे जरुरी हो गया है. भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है जो 22 भागों में विभजित है, इसमें 395 अनुच्छेद एवं 12 अनुसूचियां हैं. जिसे तैयार करने में 2 साल, 11 माह और 18 दिन का समय लगा.
देश के सभी नागरिकों को संविधान की जानकारी होनी चाहिए. इसी के चलते स्कूल के पाठ्यक्रम में संविधान के कुछ भागों को शामिल किया गया है. जिससे हर नागरिक बचपन से ही संविधान के बारे में जान और समझ सके लेकिन ज्यादातर बच्चों को ये पाठ उबाऊ लगते हैं और इसका सबसे बड़ा कारण है इसकी भाषा. अगर संविधान की भाषा देखी जाए तो बच्चों की बात तो जाने दीजिये वयस्कों को भी अभी तक तथ्यों और हमारे संविधान के इतिहास के बारे में कई उलझने हैं. संविधान की कोई भी किताब पढ़ कर देख लें तो वो बच्चों के समझने के हिसाब से अत्यधिक कठिन है. इसमें ऐसे शब्दजाल हैं जिनका अर्थ समझना मुश्किल है.
इसी समस्या को हल करती है सुभद्रा सेन गुप्ता की किताब “The Constitution of India for Children.” अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित यह किताब भारत के संविधान के बारे में है. यह किताब सही मायनों में बच्चों को बहुत सरल भाषा में चित्रों के माध्यम से संविधान के बारे में बताती है और सालों से पूछे जाने वाले अनेकों सवालों के जवाब भी प्रदान करती है. इसमें संविधान का सरलीकृत परिचय है कि आखिर संविधान की जरूरत क्यों है, इसका महत्व क्या है, यह अस्तित्व में कैसे आया, इसमें क्या शामिल है इत्यादि. ये किताब पूरे संविधान को सारगर्भित रूप में और चित्रों द्वारा प्रस्तुत करती है. किताब के चित्र तपन गुहा द्वारा बड़े रोचक तरीके से बनाये गए हैं.
इस किताब में 7 अध्याय है जिसमें प्रथम अध्याय में संविधान क्या है, दूसरे अध्याय में उद्देशिका के बारे में,तीसरे में संविधान सभा, चौथे अध्याय में संविधान सभा के प्रमुख नेताओं की जानकारी, पांचवें अध्याय में मूलभूत अधिकार और नीति निर्देशक सिद्धांतों को शामिल किया गया है वही हमारी सरकार किस तरह से काम करती है इसके बारे में छटवे अध्याय में बताया गया है. अंतिम अध्याय में भारत एक गणराज्य है इस पर प्रकाश डाला गया है.
इस अध्यायों के अलावा किताब में कुछ ख़ास तथ्य भी जैसे भारत की सरकारी भाषा, चुनाव चिन्ह, भारतीय झंडा इत्यादि शामिल किये गए हैं. तथ्यों को किताब में इस तरह से रखा गया है जिसे देख कर बच्चे अपनी सोच विकसित करते हैं. इस किताब की ये खासियत है कि संविधान जैसे गंभीर विषय को चित्रों, कार्टून के माध्यम से गंभीर बनने नहीं दिया गया है बल्कि ये एक रोचक किताब बन गयी है जो बच्चों को पढ़ने को प्रेरित करती है. इसीलिए अगर कोई भी बच्चा इस किताब को पढ़ेगा तो एक तो उसे लगेगा ही नहीं कि वह संविधान जैसे गंभीर विषय पर आधारित किताब पढ़ रहा है और साथ ही बिना ऊबे वो पूरी किताब एक बार में पढ़ना चाहेगा.
इस किताब में उद्देशिका, स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व, लोकतंत्र, न्याय, धर्मनिरपेक्षता, मूलभूत अधिकार और इसी तरह के अन्य शब्दजालों को बहुत आसान तरीके से समझाया गया है. संसद, कार्यपालिका, न्यायपालिका, चुनाव आदि के बारे में बहुत कम शब्दों में सरलता के साथ जानकारी दी गयी है. संविधान सभा के लीडर अध्याय में बाबा साहेब आंबेडकर, जवाहरलाल नेहरु, अब्दुल कलाम आजाद, राजेन्द्र प्रसाद, वल्लभभाई पटेल, सरोजनी नायडू के योगदान के बारे में संवाद चित्रों के साथ संक्षिप्त में बताया गया है.
लेखिका ने सरल उदाहरणों से अपनी बात कहने की कोशिश की है. तापस गुहा द्वारा बनाये रंग बिरंगी चित्र और संवाद बिलकुल सटीक है और वो जो बात कहना चाहते हैं सरलता से समझ आती है.
किताब की लेखिका का मानना है कि बच्चों को कम कर के नहीं आंकना चाहिए. अगर बच्चों को ध्यान से सुनो तो कई बार पाते हैं कि वो वयस्कों से भी ज्यादा मानवीय और कामन सेन्स से भरे होते हैं. संविधान जैसी कठिन किताब, उनके तथ्यों को बच्चों के माफिक करना जरुर लेखिका के लिए बड़ी चुनौती रही होगी. बच्चों को चित्रयुक्त किताबें ज्यादा पसंद आती है. उसे ही ध्यान में रखते हुए किताब में जानते समझे हुए चित्रों का अनोखे तरीके से उपयोग किया गया है. इस किताब के लिए उन्होंने गहन अनुसन्धान भी किया है. इसे रचने में उन्हें 9 माह लग गए. लेखिका ने किताब के अंत में इसी विषय से मिलतीजुलती किताबों के नाम लेखक सहित दिए हैं जिसे बच्चे पढ़ सकते हैं साथ ही अपना ई मेल भी दिया है जिसमें किताब को पढ़ कर बच्चे अपनी प्रतिक्रिया दे सकते हैं.
ये किताब संविधान का एक सरलीकृत और संक्षिप्त बाल संस्करण है और ये देश की समग्र पहचान, सहअस्तित्व के संकल्पना को प्रगट करती है. सभी अभिभावक को चाहिए कि इसे बच्चों को पढ़ाएं. बस इस किताब की एक ही दिक्कत है कि यह अंगेजी में है जिसके चलते यह केवल अंग्रेजी जानने वाले बच्चों तक ही सीमित रह जायेगी. इसका हिंदी और अन्य भाषा में भी होना चाहिए, उम्मीद है कि आगे चल कर ये किताब अन्य भाषाओं में भी अनुवादित होगी.