वैज्ञानिको ने ली चैन की सांस, पृथ्वी के बगल से निकल गया विशालकाय एस्टेरॉइड

वैज्ञानिको ने ली चैन की सांस, पृथ्वी के बगल से निकल गया विशालकाय एस्टेरॉइड

नई दिल्ली: 29 अप्रेल को अंतरिक्ष से आ रहा हिमालय पर्वत से दस गुना बड़े आकार का एस्टेरॉइड पृथ्वी से दूर होकर निकल जाने के बाद वैज्ञानिको ने राहत की सांस ली है।

यह एस्टेरॉइड धरती के करीब 63 लाख किलोमीटर दूर से गुजरा है और अब पृथ्वी को कोई खतरा नहीं है। इसके पहले ये एस्टोरॉयड 12 मार्च 2009 को 2.68 करोड़ किलोमीटर की दूरी से गुजरा था।

हालांकि यह एस्टेरॉयड 1998 OR2 अब 11 साल बाद फिर धरती के करीब से गुजरेगा लेकिन उसकी दूरी 1.90 करोड़ किलोमीटर होगी। विज्ञानिको के मुताबिक यह हर 11 साल पर धरती के आसपास से गुजर जाता है। 2031 के बाद 2042, फिर 2068 और उसके बाद 2079 में यह धरती के बगल से निकलेगा।

2079 में यह धरती के बेहद करीब से निकलेगा. उस समय इसकी दूरी अभी की दूरी से 3.5 गुना कम होगी और यह पृथ्वी से 17.73 लाख किलोमीटर की दूरी से निकलेगा। यह इस एस्टेरॉयड की धरती से सबसे कम दूरी होगी।

एक मीडिया रिपोर्ट की माने तो वैज्ञानिकों ने इस एस्टेरॉयड को लेकर अगले 177 साल का कैलेंडर बना रखा है. इससे यह पता चलेगा कि यह एस्टेरॉयड कब-कब धरती से कितनी दूरी से निकलेगा।

नासा का कहना था कि इस एस्टेरॉयड से घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह इस बार धरती से करीब 63 लाख किलोमीटर दूर से गुजरा है। यह दूसरी पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी से 16 गुना ज्यादा है। पृथ्वी और चांद के बीच की दूरी 3, 85,000 किमी की है। अंतरिक्ष विज्ञान में यह दूरी बहुत ज्यादा नहीं मानी जाती लेकिन बेहद कम भी नहीं है।

एस्टेरॉयड 1998 OR2 का व्यास करीब 4 किलोमीटर है। इसकी गति करीब 31,319 किलोमीटर प्रतिघंटा है। यानि करीब 8.72 किलोमीटर प्रति सेंकड। ये एक सामान्य रॉकेट की गति से करीब तीन गुना ज्यादा है।

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TeamDigital