मानसून सत्र: विपक्ष के दबाव के बाद सरकार लिखित सवाल-जबाव के लिए तैयार
नई दिल्ली। 14 सितंबर से शुरू होने वाले मानसून सत्र से प्रश्नकाल हटाए जाने के बाद विपक्ष द्वारा एतराज किये जाने पर अब सकरार ने तय किया है कि प्रश्नकाल की जगह सवालों को लिखित रूप से पूछा जा सकेगा और सरकार की तरफ से उनका लिखित रूप में जबाव दिया जाएगा।
हालाँकि संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि विपक्षी दल प्रश्नकाल और शून्यकाल पर सवाल उठा रहे हैं। केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, वी मुरलीधरन और मैंने इस बारे में प्रत्येक पार्टी से बातचीत की है। तृणमूल कांग्रेस को छोड़कर बाकी दलों ने अतारांकित सवालों के लिखित में जवाब देने पर सहमति जताई है।
उन्होंने मीडिया से कहा कि “सरकार की तरफ से मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि कभी भी हमने नहीं कहा कि शून्यकाल नहीं होगा। हमने तो स्पीकर और चेयरमैन साहब को शून्यकाल के लिए 30 मिनट के समय का सुझाव दिया है। अंतिम निर्णय स्पीकर और राज्यसभा चेयरमैन द्वारा लिया जाएगा।”
प्रह्लाद जोशी ने कहा कि हमने स्पीकर से अतारांकित प्रश्न लेने का भी अनुरोध किया है। सरकार हर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है।
गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण के कारण मानसून सत्र में प्रश्नकाल और शून्यकाल को निलबित कर दिया गया था। सरकार की तरफ कोरोना का हवाला देते हुए शून्य काल को भी सीमित कर दिया गया था। इस पर विपक्षी दलों ने कड़े तेवर दिखाते हुए आरोप लगाया कि वह सवाल पूछने के सांसदों के अधिकारों से उन्हें वंचित करना चाहती है।