कृषि कानूनों को लेकर शरद पवार के बयान पर कृषि मंत्री ने किया सरकार का बचाव
नई दिल्ली। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) सुप्रीमो शरद पवार ने एक बार फिर कृषि कानूनों को लेकर सवाल उठाया है। शनिवार को शरद पवार ने कृषि कानूनों को लेकर कहा कि ये कानून एमएसपी पर उल्टा असर डालेंगे और मंडी व्यवस्था को कमजोर करेंगे।
पवार ने कहा कि उनके कार्यकाल के दौरान, विशेष बाजार स्थापित करने के लिए मसौदा एपीएमसी नियमावली 2007 तैयार की गई थी, ताकि किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए उचित मंच उपलब्ध कराया जा सके और किसानों के हितों को देखते हुए मौजूदा मंडी प्रणली को मजबूत करने के लिए हमारी तरफ से सावधानी बरती गईं।
उन्होंने कहा कि वह संशोधित आवश्यक वस्तु अधिनियम को लेकर भी चिंतित हैं।उन्होंने कहा, अधिनियम के मुताबिक, यदि बागवानी उत्पाद की दरों में 100 प्रतिशत की वृद्धि हो जाती है और न सड़ने- गलने वाली वस्तुओं की कीमतें 50 फीसदी तक बढ़ जाती है, तो इस सूरत में ही सरकार मूल्य नियंत्रित करने के लिए हस्तक्षेप करेगी।
पवार के बयान से निराशा हुई: कृषि मंत्री
शरद पवार के बयान पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तौमर ने पलटवार करते हुए कहा कि शरद पवार जी देश के बड़े राजनेता हैं और कृषि से जुड़े विषयों पर बड़ी जवाबदेही के साथ बात करते रहे हैं। मैं उनका सम्मान करता हूं। जब वे कृषि मंत्री थे उन्होंने कृषि सुधार करने की कोशिश की थी। आज उनके कुछ ट्वीट आए, उन्हें देखकर मुझे निराशा हुई।
उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि शरद पवार जी के सामने बिल के तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया होगा। मैं आशा करता हूं कि वो सही तथ्यों को समझेंगे और कृषि सुधार बिलों पर अपनी राय को बदलेंगे।
गौरतलब है कि कृषि कानूनो को रद्द करने और एमएसपी गारंटी की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 65 दिनों से किसान आंदोलन कर रहे हैं। सरकार और किसानो के बीच 11 बार बातचीत हुई लेकिन बातचीत से कोई हल नहीं निकला है।
शनिवार को पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा सर्वदलीय बैठक में दिए गए बयान के बाद एक बार फिर सरकार और किसानो के बीच बातचीत शुरू होने की संभावना बनी है। हालांकि अभी तक बातचीत के लिए सरकार की तरफ से किसानो को कोई औपचारिक प्रस्ताव नहीं भेजा गया है।