8 नवंबर को देशभर में विपक्ष मनाएगा “काला दिवस”
नई दिल्ली। नोट बंदी को एक वर्ष पूरा होने पर देश का विपक्ष संयुक्त रूप से 8 नवंबर को काला दिवस मनाएगा। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद ने आज यह एलान किया। आजाद के साथ संवाददाता सम्मेलन में तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओब्रायन और जदयू के शरद यादव भी मौजूद थे।
इससे पहले राष्ट्रीय जनता दल नेता लालू प्रसाद यादव 8 नवंबर को बिहार में बड़ी रैली के आयोजन का एलान कर चुके हैं। लालू प्रसाद यादव ने कहा कि 8 नवंबर को देश में नोट बंदी लागू होने से न सिर्फ बहुत से लोग बेरोज़गार हो गए बल्कि बैंको की लाइन में लगने के चक्कर में कई लोगों की जान भी चली गयी।
गौरतलब है कि पिछले वर्ष 8 नवंबर की आधी रात से देशभर में पांच सौ और एक हज़ार रुपये के नोट के चलन पर पाबंदी लगा दी गयी थी। स्वयं पीएम नरेंद्र मोदी ने टेलीविजन चैनलों पर राष्ट्र के नाम प्रसारित अपने सन्देश में नोट बंदी लागू करने की घोषणा की थी।
8 नंवबर 2016 को आधी रात से नोट बंदी लागू होने के बाद बैंको पर पुराने नोट बदलवाने के लिए लम्बी लम्बी लाइने लगना शुरू हो गयीं थीं। यह सिलसिला करीब एक महीने से अधिक समय तक चला।
इतना ही नहीं सरकार द्वारा पांच सौ और एक हज़ार के पुराने नोट की जगह जारी किये गए पांच सौ और दो हज़ार के नए नोटों के पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध न होने के चलते एटीएम मशीनों में नगदी नहीं डाली जा सकती।
नोट बंदी के बाद शुरुआत में सरकार ने एटीएम से प्रतिदिन दो हज़ार रुपये निकाले जाने की सीमा तय कर दी। जिसके चलते लोगों को भारी दिक्क्तें उठाने पड़ी। दिन में एक बार दो हज़ार रुपये निकालने के लिए भी लोगों को कई कई घंटे लाइन में लगना पड़ा।
नोट बंदी लागू करने के पीछे सरकार ने असल मकसद सीमापार से आतंकवाद की फंडिग रोकने और ब्लैक मनी को बाहर लाना बताया था। लेकिन रिज़र्व बैंक के वार्षिक आंकड़ों से पता चलता है कि ब्लैक मनी के उसके दावे में सरकार सफल नहीं रही है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने कुछ विशेष लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए देश में नोट बंदी लागू की थी।