7 पोइंटो में समझिये, क्यों गलत साबित होंगे एग्जिट पोल

7 पोइंटो में समझिये, क्यों गलत साबित होंगे एग्जिट पोल

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव को लेकर विभिन्न चैनलों द्वारा दिखाए गए एग्जिट पोल सिर्फ बीजेपी के लिए सुहावने सपने जैसे हो सकते हैं लेकिन विपक्ष के गले नहीं उतर रहे। ज़्यादातर एग्जिट पोल एनडीए को 300 के लगभग सीटें दे रहे हैं। यहाँ तक कि तीन एग्जिट पोल ऐसे भी हैं जिनमे एनडीए को 300 से अधिक सीटें मिलने की सम्भावना जताई गयी है।

चुनावी इतिहास देखें तो एग्जिट पोल सौ फीसदी सही कभी साबित नहीं हुए। यह अलग बात है कि कुछ विधानसभा चुनावो में एग्जिट पोल परिणामो के इर्द गिर्द अवश्य दिखे हैं। इसका अहम कारण विधानसभाओं का भौगोलिक क्षेत्र लोकसभा क्षेत्र के मुकाबले छोटा होना है और कम डेटा सेम्पिल से भी यह अंदाजा लग जाता है कि इस विधानसभा में किस पार्टी की हवा है।

दरअसल एग्जिट पोल मतदाताओं से मिली फीडबैक के आधार पर तैयार किया जाता है। इसलिए ज़रूरी नहीं कि एग्जिट पोल के लिए डेटा जमा करने वाले करने वाले लोग हर पार्टी के मतदाता से फीड बैक ले पाएं। खासकर ग्रामीण क्षेत्रो में जहाँ मतदान साफतौर पर यह नहीं बताता कि उसने वोट किसे दिया। ऐसे हालातो में कई बार एग्जिट पोल के लिए छोटे से सेम्पिल डेटा (2000 से 5000 मतदाताओं से मिली जानकारी) को आधार बनाकर एग्जिट पोल तय किये जाते हैं।

महिला मतदाताओं से फीडबैक मिलना आसान नहीं होता इसलिए डेटा जमा करने वाले पुरुष से ही पूछ लेते हैं कि आपके परिवार में कितने सदस्य हैं और वोट किसको दिया है। कुल मिलाकर सारा खेल फीडबैक आधारित डेटा कलेक्शन का होता है।

इस बार क्यों गलत साबित हो सकते हैं एग्जिट पोल :

1- हर पार्टी लोकसभा क्षेत्रो से इंटेलिजेंस की रिपोर्ट के अलावा आंतरिक सर्वे रिपोर्ट को आधार मानकर काम करती है। कांग्रेस की मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, कर्णाटक, पुडुचेरी और पंजाब में सरकार है। ज़ाहिर हैं कांग्रेस ने अपने राज्यों की सरकारों से इंटेलिजेंस रिपोर्ट मांगी होगी। इसके अलावा पार्टी ने आंतरिक सर्वे भी कराये होंगे।

2- इन्ही रिपोर्टो के आधार पर कांग्रेस ने चुनावी नतीजे आने से पहले केंद्र में सरकार बनाने के लिए गैर बीजेपी दलों से सम्पर्क बनाना शुरू किया। जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस पूरी तरह खामोश दिखी थी। ज़ाहिर है उसे मिली इंटेलिजेंस और आंतरिक सर्वे रिपोर्टो से अहसास हो गया था कि केंद्र में उसकी सरकार बनने की कोई स्थति नहीं है।

3- भले ही एग्जिट पोल आने के बाद बीजेपी नेताओं के उत्साहपूर्ण बयान आने शुरू हो गए हैं लेकिन सच्चाई यह भी है कि सातवें चरण का लोकसभा चुनाव सम्पन्न होते होते बीजेपी के शीर्ष नेताओं की बॉडी लेंगुएज साफतौर पर इशारा कर रही थी कि वह चुनाव में पिछड़ चुकी है।

4- सातवें चरण का लोकसभा चुनाव सम्पन्न होते ही आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू का दिल्ली और लखनऊ जाकर विपक्ष के नेताओं से मिलना इस बात का बड़ा सबूत है कि कहीं न कहीं उन्हें इस बात की जानकारी है कि चुनाव में एनडीए पिछड़ रहा है। चंद्रबाबू नायडू एक ऐसा व्यक्तित्व हैं, जिन्हे बेहद काबिल माना जाता है। चंद्रबाबू नायडू की गिनती उन नेताओं में नहीं की जा सकती जो बिना किसी आधार के दिल्ली और लखनऊ के चक्कर काटें और अपना मज़ाक बनवाएं।

5- एग्जिट पोल में दावा किया जा रहा है कि बिहार में लोकजनशक्ति पार्टी को गठबंधन में मिली सभी 06 सीटों पर और बीजेपी सभी 17 सीटों पर जीत हासिल कर रही है जबकि राज्य में सत्तारूढ़ जनता दल यूनिटेड 05 सीटें हार रही है। यह बात किसी के गले उतरने वाली नहीं है।

06- देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस में अनुभवी और योग्य लोगों की कमी नहीं है। कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव सम्पन्न होने से पहले एक पांच सदस्यीय कमेटी गठित की है। इस कमेटी के सदस्य केंद्र में सरकार बनाने की रुपरेखा तैयार करने के लिए गैर बीजेपी दलों के नेताओं से बात करेगी। इस कमेटी में अशोक गहलोत, कमलनाथ, गुलामनबी आज़ाद, अहमद पटेल और पी चिदंबरम को शामिल किया गया है।

07- यदि कांग्रेस को मिली इंटेलिजेंस रिपोर्ट और आंतरिक सर्वे में यह खुलासा हो चूका है कि केंद्र में एनडीए की धमाकेदार वापसी हो रही है तो कांग्रेस गैर बीजेपी दलों से बातचीत के लिए पांच सदस्यीय कमेटी नहीं बनाती।

ऊपर दिए गए सात विन्दुओं से यह निष्कर्ष अवश्य निकाला जा सकता है कि एग्जिट पोल पर भरोसा नहीं किया जा सकता। यह अलग बात है कि केंद्र में एक बार फिर एनडीए की सरकार बने लेकिन एग्जिट पोल में एनडीए को दिखाई गयी सीटें सच्चाई के दायरे से बाहर हैं। हालाँकि अभी सिर्फ एग्जिट पोल ही आये हैं अभी चुनावी नतीजे तो 23 मई को घोषित किये जाने हैं।

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TeamDigital