64 पूर्व IAS अधिकारीयों ने चुनाव आयोग को लिखा पत्र, आम चुनाव की निष्पक्षता पर उठाये सवाल

64 पूर्व IAS अधिकारीयों ने चुनाव आयोग को लिखा पत्र, आम चुनाव की निष्पक्षता पर उठाये सवाल

नई दिल्ली। देश के 64 पूर्व आईएएस अधिकारीयों ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर इस बार के लोकसभा चुनावो की निष्पक्षता और स्वतंत्रता को लेकर सवाल उठाये हैं।

पत्र में कहा गया है कि हाल में संपन्न हुए आम चुनाव पिछले तीन दशक में सबसे कम स्वतंत्र और निष्पक्ष रहे हैं। चुनाव आयोग पहले जिस तरह से निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए प्रयास करता रहा है, वैसे प्रयास करने मे इस बार आयोग विफल रहा।

आयोग को पत्र लिखकर अधिकारियों ने आरोप लगाया है कि समय-समय पर चुनावी प्रक्रिया में गड़बड़ियों पर कार्रवाई करने में आयोग विफल रहा है। सिविल सेवाओं के पूर्व अधिकारियों द्वारा उठाए गए मुद्दों को 83 रिटायर्ड सेनाधिकारियों, जजों और शिक्षाविदों ने भी समर्थन किया है।

मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा और दो अन्य निर्वाचन आयुक्तों को भेजे पत्र में पूर्व अधिकारियों ने कहा है कि आम चुनाव में कई गंभीर अनियमितताएं बरती गई हैं।

पत्र में कहा गया है कि आदर्श चुनाव संहिता का उल्लंघन रोकने और ईवीएम में गड़बड़ियों को लेकर उठी आशंकाओं को निर्मूल साबित करने और आम लोगों को संतुष्ट करने में भी आयोग नाकाम रहा है।

पूर्व अधिकारियों ने कहा है कि पिछले तीन दशकों में ताजा आम चुनाव देश के सबसे कम स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव रहे हैं। इससे पहले आपराधिक तत्वों, बाहुबलियों और भ्रष्ट नेता होने के बावजूद चुनाव आयोग के तत्कालीन अधिकारियों ने यथासंभव स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए पूरे प्रयास किए। लेकिन ताजा चुनाव में इस तरह के संकेत गए कि चुनाव की पवित्रता बनाए रखने की आयोग चुनाव की संवैधानिक शक्तियों को कमजोर किया गया।

पत्र में कहा गया है कि पूर्व में चुनाव आयोग की निष्पक्षता, विश्वसनीयता और योग्यता पर शायद ही कभी संदेह पैदा हुआ होगा। लेकिन दुर्भाग्यवश इस बार के आम चुनाव के लिए ऐसा नहीं कहा जा सकता है। यही वजह है कि पूर्व चुनाव आयुक्त और राज्यों के निर्वाचन आयुक्त भी संकोच के साथ मौजूदा चुनाव आयोग के फैसलों पर सवाल उठाने को बाध्य हुए।

पत्र में कहा गया है कि आदर्श आचार संहिता का कई उम्मीदवारों खासकर भाजपा के प्रत्याशियों ने खासकर घृणास्पद बयान और भाषण देकर उल्लंघन किया। आयोग ने यह कहकर इन आरोपों को नजरंदाज कर दिया कि उसे कार्रवाई करने के अधिकार नहीं हैं।

पत्र में कहा गया है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कथित तौर पर बयान दिया कि अवैध अप्रवासियों को बंगाल की खाड़ी फेंक दिया जागा। आचार संहिता के उल्लंघन के मामलों में आयोग ने तभी कार्रवाई की जब सुप्रीम कोर्ट ने उसके अधिकार गिनाते हुए कड़ी फटकार लगाई। आयोग ने ऐसे मामलों में सबसे कड़ी कार्रवाई के रूप में कुछ दिनों के लिए प्रत्याशियों के चुनाव प्रचार पर रोक लगाई।

पत्र में पूर्व अधिकारीयों ने कहा है कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) को लेकर काफी विवाद हुआ। ईवीएम से छेड़छाड़ को लेकर आयोग ने कहा कि मशीनों में कोई गड़बड़ी नहीं हो सकती है लेकिन इस मामले में वह पारदर्शी नहीं रहा। अगर वोटर वेरिफायएबल पेपर ऑडिट ट्रैल (वीवीपैट) को लेकर आयोग का रुख सहयोगात्मक रहता तो लोगों का भरोसा बढ़ता। ईवीएम और वीवीपैट के मिलान की मांगों का आयोग ने सिरे से खारिज कर दिया।

पत्र में कहा गया है कि चुनावी फंडिंग के मामलों में भी आयोग की भूमिका संदिग्ध रही. पिछले चुनाव में 3456 करो़ड़ रुपये की नकदी, सोना और ड्रग्स बरामद की गई। चुनाव बांड के मामले में भी गड़बड़ियां सामने आईं।

पत्र में प्रधानमंत्री के हैलीकॉप्टर की जांच करने वाले ओडिशा के विशेष चुनाव पर्यवेक्षक मोहम्मद मोहसिन को निलंबन किये जाने का मामला उठाते हुए कहा गया है कि इस मामले में आयोग द्वारा लिया गया फैसला भी आपत्तिजनक है।

पत्र में पूर्व अधिकारीयों ने कहा कि प्रधानमंत्री ने पुलवामा और बालाकोट का खुला दुरुपयोग करके राष्ट्रवादी उन्माद पैदा कर दिया। मोदी के प्रचार के लिए टीवी चैनल का प्रसारण दूसरा खुलेआम दुरुपयोग था। राज्य निर्वाचन आयुक्तों की रिपोर्टों के बावजूद आयोग ने प्रधानमंत्री को कारण बताओ नोटिस नहीं दिया।

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