282 से 272 पर पहुंची बीजेपी, अभी और भी सीटें कम होना तय
नई दिल्ली। वर्ष 2014 के आम चुनाव में 282 सीटें जीतने वाली भारतीय जनता पार्टी के पास अब 272 सीटें बची हैं। पिछले चार सालो में उसे दस सीटों से हाथ धोना पड़ा हैं वहीँ अभी उसकी सीटें और कम होने की संभावना बन रही है।
मौजूदा समय में बीजेपी के पास लोकसभा में 274 सीटें थीं लेकिन बीएस येदियुरप्पा और बी श्रीरामुलु का सांसद के तौर पर इस्तीफा स्वीकार किये जाने के बाद बीजेपी की तादाद 272 हो गयी हैं। वहीँ कीर्ति आज़ाद बीजेपी से सस्पेंड चल रहे हैं तथा बीजेपी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा लगातार बगावती तेवर दिखा रहे हैं। ऐसे में पार्टी के लिए कभी भी मुसीबत खड़ी हो सकती है।
भारतीय जनता पार्टी की दूसरी मुश्किल सहयोगी दलों के सुर बदलना है। एनडीए में सहयोगी रही 16 सांसदों वाली तेलगु देशम पार्टी अब संसद में सरकार के साथ नहीं हैं। वहीँ 18 सांसदों वाली शिवसेना भी समय समय पर अपना स्टेण्ड बदलती रहती है।
28 मई को फिर से 4 लोकसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। महाराष्ट्र की भंडारा-गोंदिया, पालघर, यूपी की कैराना और नागालैंड में सीएम नेफ्यू रियो के इस्तीफे से खाली हुई एक सीट पर उपचुनाव हैं। जाहिर है सीटों की संख्या बढ़ाने के लिए भाजपा इन सीटों पर जरूर पूरी ताकत झोंकना चाहेगी।
यदि इन चारो सीटों पर बीजेपी की पराजय होती है तो बीजेपी की सीटें और भी कम हो जाएँगी और संसद में अहम फैसलों के लिए उसे सहयोगी दलों पर निर्भर होना पड़ेगा।
अभी हाल ही में बीजेपी ने उन चार सीटों को खो दिया है जो 2014 के लोकसभा चुनाव में उसने अच्छे मतांतर से जीती थीं। राजस्थान की अलवर और अजमेर तथा उत्तर प्रदेश की फूलपुर और गोरखपुर सीट पर पराजय के बाद बीजेपी को कम समय में चार सीटों का बड़ा झटका लगा है।
बीजेपी पर लोकसभा में लगातार घट रही सीटों का असर सिर्फ संसद के अंदर ही नहीं बल्कि 2019 में भी फर्क डालेगा। उपचुनावों में गंवा चुकी सीटों को 2019 के आम चुनावो में विपक्ष से वापस छींनना बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती होगी।
2014 में बीजेपी ने सहयोगी दलों के साथ मिलकर कुल 336 सीटों के साथ एनडीए सरकार बनाई थी। 543 सीटों वाली लोकसभा में एनडीए के पास कुल संख्या 336 थी।
संसद में दलीय स्थति देखकर अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि पिछले चार वर्षो में न सिर्फ बीजेपी के सांसदों की संख्या कम हुई है बल्कि उसके सहयोगी दलों ने भी उससे नाता तोड़ लिया है। हालाँकि अभी मोदी सरकार को कोई खतरा नहीं है लेकिन यदि कुछ और सहयोगी दलों ने एनडीए से रिश्ता तोडा तो बीजेपी के लिए मुश्किल पैदा हो सकती है।