2019 में चुनाव हारे तो क्या करेंगे मोदी ?

2019 में चुनाव हारे तो क्या करेंगे मोदी ?

नई दिल्ली(राजाज़ैद)। यदि कोई सवाल करे कि 2019 में यदि बीजेपी चुनाव हारी तो नरेन्द्र मोदी की भूमिका क्या होगी। ये सवाल आपको अजीब ज़रूर लग रहा होगा क्यों कि अभी अगले आम चुनावो में खासा समय बाकी है। फिर भी यह टटोलने में कोई बुराई भी नही कि 2019 के आम चुनावो में बीजेपी की पराजय की स्थति में नरेन्द्र मोदी की भूमिका क्या होगी ?

इस सवाल को लेकर हम कई जगह घूमे, कई लोगों से यह प्रश्न किया। ज़ाहिर है जबाव भी अलग अलग मिले होंगे लें एक जबाव कई लोगों ने दिया। लोगों ने कहा कि जैसा कि देखा गया है नरेंद्र मोदी पॉवर पोलिटिक्स के आदी रहे हैं। उनकी इस आदत को देखकर यह कहना जल्दबाजी होगा कि 2019 के आम चुनावो में पराजय के बाद नरेन्द्र मोदी विपक्ष के नेता के तौर पर राजनीति करेंगे।

कई लोगों ने कहा कि नरेंद्र मोदी फिर से गुजरात की राजनीति में सक्रीय हो सकते हैं। चूँकि गुजरात उनकी कर्म स्थली रहा है इसलिए वे एक बार फिर गुजरात की राजनीति में चढ़बढ़ कर हिस्सा ले सकते हैं। हालाँकि लोगों के इस जबाव से भी कई अन्य सवाल जन्म लेते हैं। मोदी केन्द्रीय राजनीति छोड़कर राज्य स्तर की राजनीति में सक्रीय होकर अपना कद क्यों छोटा करेंगे ? यदि सचमुच मोदी गुजरात की राजनीति में फिर से सक्रीय होते हैं तो उसका आकार क्या होगा ?

वहीँ कुछ लोगों का मानना है कि यदि 2019 में बीजेपी सत्ता से बाहर होती है तो नरेन्द्र मोदी एनडीए के नेता के तौर पर काम करेंगे। लोगों ने कहा कि वे संसद में एनडीए के नेता भी हो सकते हैं।

कुछ लोग इस बात को मानने को ही राजी नही कि 2019 में बीजेपी हार सकती है। लोगों ने दावा किया कि बीजेपी एक बार फिर पूर्ण बहुमत के साथ सरकार में आएगी और नरेन्द्र मोदी फिर से प्रधानमन्त्री बनेगे।

कुछ लोगों ने कहा कि यदि 2019 में बीजेपी चुनाव हारती है तो संभवतः नरेन्द्र मोदी सक्रीय राजनीति से खुद को अलग कर लेंगे। लोगों का तर्क था जिस तरह पीएम मोदी और अमित शाह की जोड़ी द्वारा लाल कृष्ण आडवाणी जैसे नेताओं को मार्गदर्शन मंडल का सदस्य बनाकर उन्हें सक्रीय राजनीति से अलग कर दिया ठीक उसी तरह नरेन्द्र मोदी भी सक्रीय राजनीति से अलग हो जायेंगे।

लोगों का यह भी कहना था कि 2019 के चुनावो के समय नरेन्द्र मोदी 70 की उम्र के आसपास पहुँच जायेंगे और ये उन्ही का नीति थी कि 65 वर्ष से अधिक उम्र के नेताओं को आराम दिया जाए। इसलिए इस बात की प्रवल संभावना है कि वे स्वयं को सक्रीय राजनीति से अलग कर लें।

गौरतलब है कि पीएम नरेन्द्र मोदी का जन्म 17सितम्बर 1950 को हुआ था। वे छात्र जीवन से संघ की शाखाओं से जुड़े रहे हैं। बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी द्वारा की गयी सोमनाथ से अयोध्या तक की रथ यात्रा में नरेन्द्र मोदी ने अहम भूमिका निभाई थी।

नरेन्द्र मोदी 1985 में वे बीजेपी से जुड़े और 2001 तक पार्टी पदानुक्रम के भीतर कई पदों पर कार्य किया, जहाँ से वे धीरे धीरे वे सचिव के पद पर पहुंचे। 2014 में प्रधानमंत्री बनने से पूर्व वे गुजरात राज्य के 14वें मुख्यमन्त्री रहे और उन्हें 4 बार (2001 से 2014 तक) मुख्यमन्त्री चुना गया।

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