2011 में पीएम मोदी ने एनआईए एक्ट को बताया था फेडरल ढाँचे के खिलाफ लेकिन अब …….

2011 में पीएम मोदी ने एनआईए एक्ट को बताया था फेडरल ढाँचे के खिलाफ लेकिन अब …….

नई दिल्ली। नेशनल इन्वेस्टिगेटिव एजेंसी (एनआईए) संशोधन विधेयक 2019 बुधवार को राज्यसभा में बहुमत के साथ पास हो गया। 2011 में पीएम नरेंद्र मोदी ने बतौर गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए एनआईए एक्ट को फेडरल ढाँचे के खिलाफ बताया था। अब उन्ही की सरकार में एनआईए को वैश्विक बनाना चाहती है।

राज्य सभा में कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने यह मामला उठाते हुए कहा कि एनआईए सिर्फ एक सुरक्षाकर्मी या पुलिसकर्मी बल नहीं है बल्कि इसका गठन ही विशेष तौर पर आतंकवाद से निपटने के लिए किया गया था।

सिंघवी ने कहा कि एनआईए के पास कुल 48 केस आए हैं, जिसमें 23 केस में आजतक चार्जशीट दाखिल नहीं की गई है। उन्होंने सवाल उठाया कि समझौता धमाकों में फैसले के बाद सरकार ने अपील क्यों नहीं की है।

सिंघवी ने कहा कि एनआईए की जांच पर कोर्ट के जज सवाल उठा चुके हैं और सरकार उसे ताकतवर बनाकर विदेश में जांच का अधिकार देने जा रही है, कोई मुल्क आपको किस आधार पर एनआईए को जांच का अधिकार देगा।

अभिषेक मनु सिंघवी ने याद दिलाया कि नरेंद्र मोदी तो 2011 में ही एनआईए एक्ट को फेडरल ढांचे के खिलाफ बता चुके हैं और आज उन्हीं की सरकार एनआईए को वैश्विक बनाना चाहती है।

गौरतलब है कि एनआईए संशोधन विधेयक में मानव तस्करी, नकली नोट चलाने, प्रतिबंधित हथियारों के निर्माण और बिक्री, एक्सप्लोसिव्स सब्सटेंसेज एक्ट, 1908 के तहत अपराधों और साइबर आतंकवाद से जुड़े विषयों की जांच का अधिकार देने की बात भी कही गई है। एनआईए एटॉमिक एनर्जी एक्ट, 1962 और अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट, 1967 जैने कानूनों के तहत उल्लिखित अपराधों की जांच कर सकेगी।

अधिनियम की धारा 3 की उपधारा 2 का संशोधन करके एनआईए के अधिकारियों को वैसी शक्तियां, कर्तव्य, विशेषाधिकार और दायित्व प्रदान करने की बात कही गई है जो अपराधों के जांच के संबंध में पुलिस अधिकारियों द्वारा न केवल भारत में बल्कि देश के बाहर भी प्रयोग की जाती रही है। इसमें भारत से बाहर किसी अनुसूचित अपराध के संबंध में एजेंसी को मामले का पंजीकरण और जांच का निर्देश देने का प्रावधान किया गया है।

कानून में केंद्र सरकार को विशेष अदालतें गठित करने का भी अधिकार मिलेगा ताकि अनुसूचित अपराधों के मामलों पर केस चलाया जा सके। केंद्र सरकार विशेष अदालत बनाने से पहले उस राज्य के हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से सलाह करेगी।

विधेयक पारित होने से पहले इस पर चर्चा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष को जवाब देते हुए कहा कि सरकार की इस कानून के दुरुपयोग की कोई मंशा नहीं है। उन्होंने कहा कि इस कानून का इस्तेमाल आतंकवाद को खत्म करने के लिए किया जाएगा। लेकिन इस दौरान यह भी कतई नहीं देखा जाएगा कि अपराध किस धर्म के व्यक्ति ने किया है।

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TeamDigital