जम्मू कश्मीर : नहीं रुक रहा सड़क दुर्घटनाओं में मौत का खेल, ज़िम्मेदार कौन ?

जम्मू कश्मीर में लगातार बढ़ रही सड़क दुर्घटनाओं के लिए वे लोग अधिक ज़िम्मेदार हैं जो ट्रेफिक नियमों की अवहेलना करते हैं । पिछले ढाई वर्षो के दौरान जम्मू कश्मीर में तकरीबन 25551 सड़क दुर्घटनाओं में 2400 लोगों की मौत हो गई जबकि 21335 लोग घायल हुए । जम्मू कश्मीर में सड़क दुर्घटनाओं की बढ़ती तादाद के कारण बता रहे हैं राही कपूर ।

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राही कपूर

ब्यूरो । जम्मु कशमीर ट्रैफिक पुलीस की वेबसाइट पर लिखा है “यह हमारा मिशन है कि हम लोगो की जीवन के रक्षा के लिए, दुर्घटनाओ को कम करने के लिए अन्य गैर सरकारी संगठनो के साथ मिलकर इस कार्य को आगे बढ़ाएँ ताकि यहाँ के लोगो को सड़क दूर्घटनाओ से सुरक्षित रखा जा सके।

मालुम हो कि साल 2015 मे रेडियो पर “मन की बात” प्रोग्राम मे प्रधानमंत्री ने कहा था ” जब आंकड़ो की तरफ देखते हैं तो देश भर मे हर चार मिनट मे एक मौत सड़क दूर्घटना के कारण होती है चिंता का विषय यह है कि करीब एक तिहाई मरने वालो मे 15 से 25 साल की उम्र के नौजवान होते हैं। इस बात का उदाहरण खुबसुरत राज्य जम्मु कशमीर का जिला पुंछ है जहाँ रोजाना तेज रफ़्तार से चलने वाले वाहन चालक जिनमे अधिकतर संख्या नौजवानो की होती है लोगो की परेशानी का सबब बने हुए हैं। इस संबध मे राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो की रिपोर्ट बताती है कि जम्मु कशमीर राज्य मे वर्ष 2014 मे 235 बाइकर्स सड़क दुर्घटना का शिकार हुए।

पुंछ कस्बे समेत तहसील मेंढर ,सुरनकोट, मंडी, मनकोट में रोजाना ऐसे वाहनो के कारण बड़ी संख्या मे लोग दूर्घटना का शिकार हो रहे हैं। इस बारे मे 45 वर्षिय स्थानीय दुकानदार विनोद का कहना है “तहसील मेंढर के अंदर जितने स्कूलों व कॉलेज की ओर जाने वाले मार्ग हैं वहां पर सब से अधिक गति में मोटर साइकल व छोटे वाहन क्षमता से अधिक गति के साथ दौड़ते नजर आते हैं।

आजकल स्कूटीयों की दिन प्रतिदिन बढ़ोतरी होती जा रही है लेकिन अधिकतर स्कूटी चलाने वाले 18 वर्ष से कम आयु के होते हैं जिन पर शिकंजा कसने पर पुलिस प्रशासन पूरी तरह से नाकाम है”। पुलिस की बात की जाए तो वह दिन में अपनी ड्यूटी तो देते हैं परन्तु तेज रफ़्तार व बिना हेलमेट,बिना लाइसेंस और बिना वाहन के दस्तावेजों से चलने वाले चालकों पर लगाम लगाने में पूरी तरह से नाकाम हैं।

पिछले कई वर्षो से तहसील मेंढर मे विकास के मुद्दो पर कार्य करने वाले समाजिक कार्यकर्ता ताजीम हुसैन शाह ने बताया” पुंछ कस्बे व तहसील मेंढर, सुरनकोट, मंडी में सब से अधिक वाहन बिना दस्तावेजों के चलते हैं। अगर ऐसे में उनसे कोई हादसे का शिकार होता है तो दोषी किसे ठहराया जायेगा? आखिर क्यों यह सब देखते हुए भी इस बात को अनदेखा कर पुलिस उनपर कार्यवाई नहीं कर रही है”।

मालुम हो कि कुछ दिनों पहले ही तहसील मनकोट में तेज रफ़्तार से एक टाटा सूमों ने 10 वर्ष के किशोर को कुचल दिया जिसकी मौके पर ही मौत हो गई। इस हादसे के आलावा पिछले 6 माह में पुंछ जिले में विभिन्न प्रकार के सड़क हादसे हुए हैं जिन का मुख्य कारण तेज रफ़्तार से वाहनों का चलना है।

लोगों का सवाल है आखिर क्यों पुलिस प्रशासन यह सब देखने के बावजूद चुप है? तेज रफ़्तार से चलने वाले वाहनों पर क्यों नहीं अंकुश लगा रहा है? इस विषय पर जिला पुंछ की तहसील मेंढर की निवासी मुसर्रत परवीन कहती हैं ” वैसे तो यहाँ दुर्घटनाए बहुत होती हैं लेकिन सबसे ज्यादा दुर्घटना ओवर लोड और सड़को के खराब होने की वजह कर भी होता है और जहाँ सड़के कुछ ठिक ठाक हैं वहाँ सभी गाड़ियाँ इतनी तेज रफ्तार से चलती हैं कि हमेशा दुर्घटना होने का खतरा बना रहता है मै जब भी घर से बाहर निकलती हुँ बहुत सावधान रहती हुँ”।

सड़क हादसों का शिकार हुए कुछ लोगों का कहना है कि “जब हम हादसे के शिकार होने के बाद सड़क पर चलते हैं तो फिर से हमे अपनी आप बीती याद आ जाती है और यह सोचते हैं कि हमारी ही तरह हमारा अपना दोस्त,भाई,बहन, माता,पिता आदि कोई भी इस सड़क हादसे का शिकार न हो”।

स्थानीय लोगों के अनुसार उनको ट्रैफिक पुलिस के प्रति नाराजगी है उन्होंने बताया कि ट्रैफिक पुलिस की बात करें तो वह उस समय नजर आते हैं जब उनको महीना पूरा होने पर एंट्री चाहिए होती है। एंट्री लेने के बाद वह कम दिखाई देते हैं। ट्रैफिक पुलिस के साथ-साथ लोगों को जिला ट्रांसपोर्ट अधिकारी आर.टी.ओ पर भी गहरा आक्रोश है लोगों का कहना है कि ट्रैफिक विभाग द्वारा हर जिले में अधिकारीयों को निर्देश दिए जाते हैं की वह प्रत्येक जिले में ट्रैफिक नियमों की जानकारी प्रदान करें। लेकिन पुंछ जिले का मंजर कुछ और ही बायां करता है।

लोगों ने बताया कि कुछ वर्ष पहले आर.टी.ओ द्वारा जिले की विभिन्न तहसीलों में जागरुकता कैंप लगाए जाते थे जिसमें विभिन्न प्रकार के वाहन चालकों समेत लोगों को बुलाकर उन्हें ट्रैफिक नियमों की जानकारियां दी जाती थी लेकिन काफी समय से वह सब देखने को नही मिला है।

जम्मु विश्वविधालय से लॉ की पढ़ाई कर रहे हामीद शाह हाशमी ने ट्रैफिक नियमो की जानकारी के प्रति अपने अनुभव को साझा करते हुए बताया ” काम और पढ़ाई के सिलसिले दिल्ली आना जाना लगा रहता है लेकिन मै जितनी पांबदी के साथ दिल्ली मे ट्रैफिक नियमो का पालन करता हुँ उतनी पाबंदी से पुंछ मे नही करता क्योंकि वहाँ ज्यादातर लोग ऐसा ही करते हैं औऱ जो इन नियमो को तोड़ता भी है उसपर कोई खास कार्यवाई नही होती”। ऐसे मे राज्य सरकार और विशेषकर ट्रैफिक पुलीस अधिकारीयों को इस समस्या के प्रति गंभीर होने की जरुरत है ताकि पुंछ मे सड़क दूर्घटनाओ से लोगो को सुरक्षित रखा जा सके।

(चरखा फीचर्स)

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